गर्मी में मुर्गी के दाने का प्रबंधन
डॉ. याशिर आमीन राथेर
डॉ. शानू देवी सिंगौर
डॉ. शाहबाज हारुन खान
डॉ. ब्रजमोहन सिंह धाकड़
कुक्कुट विज्ञान विभाग, पशुचिकत्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, ना.दे.प.वि.वि. जबलपुर (म. प्र.)
पशुचिकत्सा जनस्वास्थय और महामारी विज्ञान विभाग, पशुचिकत्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, ना.दे. प.वि.वि.जबलपुर (म. प्र.)
मुर्गी पालन का देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान होने के साथ ही यह बड़ी संख्या में किसानों को रोजगार प्रदान करता है। ग्रीष्म ऋतु का समय मुर्गीपालकोंं के लिए सबसे कठिन समय होता है। पोल्ट्री शेड में 35 डिग्री से ऊपर का तापमान शरीर के तापमान को समायोजित करने में समस्या पैदा करता है। गर्मीं में 1 डिग्री तापमान बढऩे से मुर्गी 1.5 प्रतिशत कम खाना खाती है। जब तापमान 28-30 डिग्री हो जाता है तो और 5 प्रतिशत कम खाना खाती हंै। जब तापमान 32-38 डिग्री हो जाता है, तो डॉक्टर से परामर्श से उचित देखभाल करनी चाहिए।
गर्मी का प्रभाव: तेजे सांस लेना, कम वजन आना,
ज्यादा एफसीआर, कम दाना खाना कम और पानी पीना, अंडे के शैल का टूटने, अंडे प्रोडक्शन में कमी।
मुर्गी के दाने का प्रबंधन: गर्मी में मुर्गी कम दाना खाती है। इसके नुकसान सेे बचने के लिये दाने में नुट्रिएंट डेंसिटी अधिक रखनी चाहिए, जिससे उसकी नुट्रिएंट के आवश्कता पूरी हो जाए। भोजन सुबह और शाम को जब तापमान कम रहे तब देना चाहिए। दोपहर में भोजन नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि पाचन के ताप शरीर का तापमान बढ़ाता है। पाचन से उत्पन्न गर्मी को कम करने के लिए प्रोटीन कम देना चाहिए, साथ-साथ अमीनो एसिड सही मात्रा में मिलाने ताजा और ठंडा पानी पक्षी के लिए लगातार उपलब्ध रहना चाहिए। डेक्सट्रोज़ और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड इत्यादि) जैसी दवाएं अधिक गर्मी में शरीर के आयनिक संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं। अधिक मात्रा (20- 30 परसेंट) विटामिन और मिनरल दाने में मिलने चाहिए। भोजन में एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे विटामिन ई और विटामिन सी को शामिल करने से गर्मी तनाव कम होता है। इम्यून मॉडलटेर दाना में और पानी में शामिल करने से गर्मी तनाव कम होता है। मल्टीस्ट्राइन प्रोबिओटिक देने से मुर्गियों मेंं ज्यादा दाना खाती है और अंडे का प्रोडक्शन भी बढ़ता है। एंटीफंगल दाने में उसे करने चाहिए, गर्मियों और अधिक आद्रता में फंगस ग्रोथ बढ़ जाती है।
सावधानियाँ
लिटिर मटेरियल के मोटाई 2-3 इंच होनी चाहिए। केक बनने से बचना चाहिए। मुर्गियों के घेर पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इससे हवा का संचालन ठीक रहता है। ट्रांसपोर्टेशन, चोंच काटना, वैक्सीनशन करना, ठन्डे तापमान में करना चाहिए। एक जगह पर पक्षियों का जमावड़ा नहीं होना चाहिए। जरूरत से अधिक जगह होनी चाहिए। छत पर दिन में 3-4 बार पानी छिड़कने से शेड का तापमान 5डिग्री से 10डिग्री फा. तक कम हो जाता है। छत पर तिनकों/घास फूस के उपयोग से तापावरोधन बनाना, या चूने की मोटी परत के साथ छत की पुताई करनी चाहिए।