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कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा एवं रागी आदि फसलों को प्रमोट करेगी मप्र सरकार

13 करोड़ 74 लाख रुपये का प्रावधान किया गया 

भोपाल, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के किसानों के लिए मोटे अनाजों के वैल्यू एडिशन की एक विशेष योजना तैयार की गई है। इसके लिए 13 करोड़ 74 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना में खेतों में सिंचाई के लिए इस वित्त वर्ष में कुल 44 करोड़ 25 लाख रुपये के परकोलेशन टैंक, माईनर इरीगेशन टैंक और फार्मगेट शेड के नये प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं। अगले साल यानी 2023 को इंटरनेशनल मिलेट ईयर घोषित किया गया है। ऐसे में मोटे अनाजों की खेती को प्रमोट करने की यह योजना महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश में मोटे अनाजों की अच्छी खेती होती है। इसके तहत कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा एवं रागी आदि फसलों को प्रमोट किया जाएगा।

तैयार की जा रही कम अवधि वाली फसलों के उत्पादन की नीति

प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि यहां के 89 आदिवासी विकास खण्डों में 50 प्रतिशत उत्पादकता वृद्धि के लिए उन्नत बीज वितरण, उन्नत कृषि आदानों और बेहतर कृषि पद्धतियों की योजना तैयार की गई है। प्रदेश के सभी ग्रामों के मिट्टी परीक्षण के डाटा के आधार पर, उर्वरकता मानचित्र तैयार कर जीआईएस पोर्टल से जोड़ा जा रहा है। इससे किसान खेतों में उर्वरकों का संतुलित उपयोग कर फसलों की अच्छी पैदावार ले सकेंगे. जलवायु में बदलावों को देखते हुए प्रदेश में कम अवधि वाली फसलों के उत्पादन की नीति तैयार की जा रही है।

313 विकासखंडों में स्वचलित मौसम केन्द्रों की स्थापना 

प्रदेश में उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए तीन हजार नये बीज ग्राम विकसित किये जा रहे हैं। किसानों की भागीदारी से संकर बीजों का उत्पादन कर प्रदेश को हाईब्रिड बीज उत्पादन हब बनाया जा रहा है। मौसम की अनिश्चित परिस्थितियों से निपटने और मौसम की सटीक जानकारी के लिए प्रदेश के 313 विकासखंडों में स्वचलित मौसम केन्द्रों की स्थापना की जा रही है।

तिलहन, दलहन, सोयाबीन, उड़द के क्षेत्र एवं उत्पादन में एमपी देश में प्रथम स्थान पर 

प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश को कृषि उत्पादन और योजना संचालन में बेहतर प्रदर्शन के लिए 7 बार कृषि कर्मण पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है। तिलहन, दलहन, सोयाबीन, उड़द के क्षेत्र एवं उत्पादन में एमपी देश में प्रथम स्थान पर है। जबकि गेहूं, मसूर, मक्का एवं तिल फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में इसका दूसरा स्थान है। सरकार ने बताया है कि बालाघाट जिले की “चिन्नौर धान” को जीआई टैग मिला है। प्रदेश के शरबती गेहूं, लाल ग्राम (चना), पिपरिया की तुअर, काली मूंछ चावल, जीराशंकर चावल और अन्य इंडीजिनस फसलों को भी जीआई टैग दिलाने के लिए प्रभावी काम किया जा रहा है।

कृषि अवसंरचना निधि के उपयोग में प्रदेश देश में अग्रणी 

कृषि अधोसंरचना में सुधार को प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता देने के लिए शुरू की गई कृषि अवसंरचना निधि के उपयोग में प्रदेश देश में अग्रणी है। योजना से किसान, कृषि से जुड़े उद्यमी, एफपीओ, स्टार्टअप, स्वयं सहायता समूह, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ और कृषि से जुड़े अन्य लोग लाभान्वित हो रहे हैं। अब तक प्रदेश में एआईएफ पोर्टल पर 3 हजार 357 आवेदन दर्ज कराए जा चुके हैं। दर्ज प्रकरणों में से 2,129 आवेदनों पर 1558 करोड़ रुपये की राशि बैंकों ने स्वीकृत की है। इसमें से 1107 करोड़ का ऋण वितरण हितग्राहियों के खाते में कर दिया गया है।

ग्रीष्मकालीन मूंग का रिकार्ड उत्पादन 

किसानों की आय दुगनी करने के लिए तीसरी, ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द, फसल को लगाने के लिए प्रदेश के कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में मूंग फसल का क्षेत्र एक ही वर्ष में 4 लाख 19 हजार से बढ़कर 8 लाख 35 हजार हेक्टेयर हो गया है। इस वर्ष ग्रीष्मकालीन मूंग का 12 लाख 12 हजार मीट्रिक टन रिकार्ड उत्पादन हुआ है।

कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा एवं रागी आदि फसलों को प्रमोट करेगी मप्र सरकार

13 करोड़ 74 लाख रुपये का प्रावधान किया गया 

भोपाल, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के किसानों के लिए मोटे अनाजों के वैल्यू एडिशन की एक विशेष योजना तैयार की गई है। इसके लिए 13 करोड़ 74 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना में खेतों में सिंचाई के लिए इस वित्त वर्ष में कुल 44 करोड़ 25 लाख रुपये के परकोलेशन टैंक, माईनर इरीगेशन टैंक और फार्मगेट शेड के नये प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं। अगले साल यानी 2023 को इंटरनेशनल मिलेट ईयर घोषित किया गया है। ऐसे में मोटे अनाजों की खेती को प्रमोट करने की यह योजना महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश में मोटे अनाजों की अच्छी खेती होती है। इसके तहत कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा एवं रागी आदि फसलों को प्रमोट किया जाएगा।

तैयार की जा रही कम अवधि वाली फसलों के उत्पादन की नीति

प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि यहां के 89 आदिवासी विकास खण्डों में 50 प्रतिशत उत्पादकता वृद्धि के लिए उन्नत बीज वितरण, उन्नत कृषि आदानों और बेहतर कृषि पद्धतियों की योजना तैयार की गई है। प्रदेश के सभी ग्रामों के मिट्टी परीक्षण के डाटा के आधार पर, उर्वरकता मानचित्र तैयार कर जीआईएस पोर्टल से जोड़ा जा रहा है। इससे किसान खेतों में उर्वरकों का संतुलित उपयोग कर फसलों की अच्छी पैदावार ले सकेंगे. जलवायु में बदलावों को देखते हुए प्रदेश में कम अवधि वाली फसलों के उत्पादन की नीति तैयार की जा रही है।

313 विकासखंडों में स्वचलित मौसम केन्द्रों की स्थापना 

प्रदेश में उन्नत बीजों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए तीन हजार नये बीज ग्राम विकसित किये जा रहे हैं। किसानों की भागीदारी से संकर बीजों का उत्पादन कर प्रदेश को हाईब्रिड बीज उत्पादन हब बनाया जा रहा है। मौसम की अनिश्चित परिस्थितियों से निपटने और मौसम की सटीक जानकारी के लिए प्रदेश के 313 विकासखंडों में स्वचलित मौसम केन्द्रों की स्थापना की जा रही है।

तिलहन, दलहन, सोयाबीन, उड़द के क्षेत्र एवं उत्पादन में एमपी देश में प्रथम स्थान पर 

प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश को कृषि उत्पादन और योजना संचालन में बेहतर प्रदर्शन के लिए 7 बार कृषि कर्मण पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है। तिलहन, दलहन, सोयाबीन, उड़द के क्षेत्र एवं उत्पादन में एमपी देश में प्रथम स्थान पर है। जबकि गेहूं, मसूर, मक्का एवं तिल फसल के क्षेत्र एवं उत्पादन में इसका दूसरा स्थान है। सरकार ने बताया है कि बालाघाट जिले की “चिन्नौर धान” को जीआई टैग मिला है। प्रदेश के शरबती गेहूं, लाल ग्राम (चना), पिपरिया की तुअर, काली मूंछ चावल, जीराशंकर चावल और अन्य इंडीजिनस फसलों को भी जीआई टैग दिलाने के लिए प्रभावी काम किया जा रहा है।

कृषि अवसंरचना निधि के उपयोग में प्रदेश देश में अग्रणी 

कृषि अधोसंरचना में सुधार को प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता देने के लिए शुरू की गई कृषि अवसंरचना निधि के उपयोग में प्रदेश देश में अग्रणी है। योजना से किसान, कृषि से जुड़े उद्यमी, एफपीओ, स्टार्टअप, स्वयं सहायता समूह, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ और कृषि से जुड़े अन्य लोग लाभान्वित हो रहे हैं। अब तक प्रदेश में एआईएफ पोर्टल पर 3 हजार 357 आवेदन दर्ज कराए जा चुके हैं। दर्ज प्रकरणों में से 2,129 आवेदनों पर 1558 करोड़ रुपये की राशि बैंकों ने स्वीकृत की है। इसमें से 1107 करोड़ का ऋण वितरण हितग्राहियों के खाते में कर दिया गया है।

ग्रीष्मकालीन मूंग का रिकार्ड उत्पादन 

किसानों की आय दुगनी करने के लिए तीसरी, ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द, फसल को लगाने के लिए प्रदेश के कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में मूंग फसल का क्षेत्र एक ही वर्ष में 4 लाख 19 हजार से बढ़कर 8 लाख 35 हजार हेक्टेयर हो गया है। इस वर्ष ग्रीष्मकालीन मूंग का 12 लाख 12 हजार मीट्रिक टन रिकार्ड उत्पादन हुआ है।

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