जानिए भारत के किन कृषि उत्पादों को मिला है जीआई टैग, क्यों दिया जाता है और इसके लाभ
भोपाल, किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर (Geographical Indications) कहते हैं। जिसे हिंदी में भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है।
1999 में बना अधिनियम
संसद ने उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर 1999 में अधिनियम पारित किया। जिसे अंग्रेजी में Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 कहा गया। इसे 2003 में लागू किया गया। इसके तहत भारत में पाए जाने वाले प्रॉडक्ट के लिए जी आई टैग देने का सिलसिला शुरू हुआ। भारत में कृषि, प्राकृतिक, निर्मित वस्तु, कपड़ा, हस्तशिल्प, खाद्य सामग्री आदि कैटगरी के सैंकड़ों उत्पादों को जीआई टैग का खिताब प्राप्त है। जीआई टैग प्रदान करने का प्रमुख उद्देश्य उत्पाद को विलुप्त होने से बचाना, उसके उत्पादन को बढ़ाना, ताकि निर्यात को बढ़ावा मिल सके और संबंधित क्षेत्र में लोगों के लिये रोजगार के अवसर पैदा करना है।
दार्जिलिंग की चाय को सबसे पहला जीआई टैग मिला
बता दें कि किसी भी उत्पाद का जीआई टैग अगले 10 साल तक के लिए मान्य होता है जिसे बाद में रिन्यू भी किया जा सकता है। भारत में तमाम कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इसमें सबसे पहला जीआई टैग मिला दार्जिलिंग की चाय को। इसके बाद मैसूर की सुपारी से लेकर बिहार का मखाना और कश्मीर का केसर भी इस सूची में जुड़ते चले गये। आज हम आपको अलग-अलग राज्यों में कृषि कैटेगरी के जीआई टैग उत्पादों के बारे में जानकारी देंगे। ये वही उत्पाद हैं, जो संबंधित इलाके में किसानों की आय बढ़ाने में मददगार हैं।
कृषि कटेगरी में भारत के इन उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग
राज्य | उत्पाद |
आंध्र प्रदेश | बनगनपल्ले आम, गुंटूर सन्नम मिर्च |
अरुणाचल प्रदेश | अरुणाचल संतरा |
असम | असम कार्बी आंगलोंगलों अदरक, असम की चाय, बोका चौल, जोहा चावल, काजी नेमो (नींबू), तेजपुर लीची |
बिहार | मिथिला मखाना, भागलपुरी जर्दालू, कतरनी चावल, मघई पान, बिहार की शाही लीची |
दिल्ली | बासमती चावल |
गोवा | खोला मिर्च |
गुजरात | भालिया गेहूं, गिर केसर आम |
हिमाचल प्रदेश | कांगड़ा की चाय, हिमाचली मिर्च का तेल, हिमाचली काला जीरा |
जम्मू कश्मीर | गुच्छी मशरूम, कश्मीरी केसर |
मणिपुर | चक-हाओ चावल, कचई नींबू |
मेघालय | खासी मंदारिन, मैमोंग नारंग |
मिजोरम | मिजो मिर्च |
नागालैंड | नागा मिर्च, नामा पेड़ टमाटर |
उड़ीसा | गंजम केवड़ा फूल, कंधमाल हल्दी |
सिक्किम | बड़ी इलायची |
तमिलनाडु | एथामोझी लंबा नारियल, मदुरै मल्ली, नीलगिरी चाय, सिरुमलाई पहाड़ी केला, विरुपक्षी पहाड़ी केला |
त्रिपुरा | रानी अनानास |
उत्तर प्रदेश | इलाहाबाद सुरखा अमरुद, कालानामक चावल, मलीहाबादी दशहरी आम |
उत्तराखंड | उत्तराखंडी तेजपत्ता |
पश्चिम बंगाल | दार्जिलिंग की चाय, फाजली आम, गोविंद भोग चावल, खिरसापति (हिमसागर) आम, लक्ष्मण भोग आम, तुलाईपंजी चावल |
कर्नाटक | अप्पेमिडी आम, बाबाबुदनगिरी अरेबिका कॉफी, बंगलौर नीले अंगूर, बैंगलोर गुलाब प्याज, ब्यादगी मिर्च, चिकमगलूअरेबिका कॉफी, कुर्ग अरेबिका कॉफी, कुर्ग हरी इलायची, कुर्ग संतरा, देवनहल्ली पोमेलो, हदगली मल्लिगे(चमेली), कमलापुर लाल केला, मालाबार काली मिर्च, मैसूर सुपारा, मैसूर चमेली, नंजनगुड केला, सिरसी सुपारी, उडुपी चमेली, उडुपी मट्टू गुल्ला बैंगन |
केरल | एलेप्पी हरी इलायची, सेंट्रल त्रावणकोर गुड़, चेंगलिकोदन नेन्द्रन केला, कैपाल चावल, मालाबारी काली मिर्च, नवारा चावल, नीलांबुर सागौन, पलक्कड़ मट्टा चावल, पोक्कली चावल, तिरूर सुपारी, वजहकुलम अनानास, वायनाड जीरकशाला चावल, वायनाड गंधकशाला चावल |
महाराष्ट्र | अजारा घनसाल चावल, अलफांसो, अंबेमोहर चावल, बीड कस्टर्ड सेब, भिवापुर मिर्च, जलगांव केला, जलगांव भरित बैंगन, जालना मीठा संतरा, कोल्हापुर गुड़, महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, मराठवाड़ा केसर आम, मंगलवेधा ज्वार, नागपुर संतरा, नासिक अंगूर, नवापुर तुअर दाल, पुरंदर अंजीर, सांगली किशमिश, सांगली हल्दी, सोलापुर अनार, वेंगुर्ला काजू, वाघ्या घेवड़ा, वैगांव हल्दी |
मध्य प्रदेश | चिन्नौर धान |