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मध्य प्रदेश के बासमती को मिलेगा जीआई टैग!

मद्रास हाईकोर्ट को फिर से सुनवाई करने के निर्देश

एक बार फिर मप्र सरकार मजबूती से रखेगी अपनी बात 

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से मध्य प्रदेश की बासमती को जीआई टैग मिलने की उम्मीद फिर से जग गई है। एक दशक से अधिक समय से मध्य प्रदेश के 13 जिलों में उगाए जाने वाली बासमती के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की कोशिश में लगा है और कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले से मध्य प्रदेश के बासमती को जीआई टैग मिलने का रास्ता एक बार फिर खुल गया है। दरअसल, मध्य प्रदेश ने राज्य में उगाए जाने वाले बासमती चावल को जीआई टैग प्रदान करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हालांकि इसे हाईकोर्ट ने 27 फरवरी, 2020 को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाल ही में इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट मध्य प्रदेश सरकार की याचिका पर पुनर्विचार करे।

हाईकोर्ट नए सिरे से करे विचार

जस्टिस एल नागेश्वरन राव, बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि इन मामलों में शामिल मुद्दों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना हम हाईकोर्ट के 27 फरवरी, 2020 के फैसले को रद्द करते हैं और मामले को कानून के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा नए सिरे से विचार करने के लिए वापस भेजते हैं।

यह पूरा मामला

मई, 2010 में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में उगाए जाने वाले बासमती को जीआई टैग मिला था। तभी मध्य प्रदेश ने राज्य के 13 जिलों में उगाए जाने वाले बासमती को जीआई टैग देने की मांग की थी, लेकिन हर बार एपीडा ने इसका विरोध किया था। एपीडा के बार-बार खिलाफत के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने चेन्नई में भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्रार के यहां अपील दायर की थी और 2013 में इसने मध्य प्रदेश के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसी बीच पंजाब ने आईपीएबी में आपत्ति दर्ज करा दी थी। बोर्ड ने 2016 में मध्य प्रदेश के खिलाफ फैसला सुनाया था।  

मध्य प्रदेश के बासमती को मिलेगा जीआई टैग!

मद्रास हाईकोर्ट को फिर से सुनवाई करने के निर्देश

एक बार फिर मप्र सरकार मजबूती से रखेगी अपनी बात 

भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से मध्य प्रदेश की बासमती को जीआई टैग मिलने की उम्मीद फिर से जग गई है। एक दशक से अधिक समय से मध्य प्रदेश के 13 जिलों में उगाए जाने वाली बासमती के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की कोशिश में लगा है और कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले से मध्य प्रदेश के बासमती को जीआई टैग मिलने का रास्ता एक बार फिर खुल गया है। दरअसल, मध्य प्रदेश ने राज्य में उगाए जाने वाले बासमती चावल को जीआई टैग प्रदान करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हालांकि इसे हाईकोर्ट ने 27 फरवरी, 2020 को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाल ही में इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट मध्य प्रदेश सरकार की याचिका पर पुनर्विचार करे।

हाईकोर्ट नए सिरे से करे विचार

जस्टिस एल नागेश्वरन राव, बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा कि इन मामलों में शामिल मुद्दों के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना हम हाईकोर्ट के 27 फरवरी, 2020 के फैसले को रद्द करते हैं और मामले को कानून के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा नए सिरे से विचार करने के लिए वापस भेजते हैं।

यह पूरा मामला

मई, 2010 में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में उगाए जाने वाले बासमती को जीआई टैग मिला था। तभी मध्य प्रदेश ने राज्य के 13 जिलों में उगाए जाने वाले बासमती को जीआई टैग देने की मांग की थी, लेकिन हर बार एपीडा ने इसका विरोध किया था। एपीडा के बार-बार खिलाफत के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने चेन्नई में भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्रार के यहां अपील दायर की थी और 2013 में इसने मध्य प्रदेश के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसी बीच पंजाब ने आईपीएबी में आपत्ति दर्ज करा दी थी। बोर्ड ने 2016 में मध्य प्रदेश के खिलाफ फैसला सुनाया था।  

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