कृषि को मिला सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किए गए ये तीन किसान
नई दिल्ली, भारत सरकार हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर लोगों को उनके अनोखे योगदान के लिए पद्म पुरस्कारों से सम्मानित करती है। 113 पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं में से तीन जाने माने व्यक्तित्व जैसे हिमाचल प्रदेश के हरिमन शर्मा, नागालैंड के एल. हांगथिंग और महाराष्ट्र के सुभाष खेतुलाल शर्मा को कृषि के क्षेत्र में अनोखा योगदान देने के लिए पद्म श्री दिया गया।
इस साल भी केंद्र सरकार ने 76वें गणतंत्र दिवस से पहले की शाम पर शनिवार यानी 25 जनवरी 2025 को 139 पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया। जिसमें से 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री शामिल हैं. 113 पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं में से तीन जाने माने व्यक्तित्व जैसे हिमाचल प्रदेश के हरिमन शर्मा, नागालैंड के एल. हांगथिंग और महाराष्ट्र के सुभाष खेतुलाल शर्मा को कृषि के क्षेत्र में अनोखा योगदान देने के लिए पद्म श्री दिया गया।
एल. हांगथिंग, फू्रट मैन, पद्म श्री
नागालैंड के नोकलाक जिले के 58 साल के एल. हांगथिंग को बागवानी में उनके अद्भुत योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। 30 सालों से ज्यादा के अनुभव के साथ, उन्होंने अपने क्षेत्र में लीची और संतरे जैसे फलों की खेती शुरू की। उनकी इस पहल से 40 से अधिक गांवों के 200 से अधिक किसानों को फायदा हुआ। हांगथिंग ने बचपन में ही अपने परिवार की जमीन पर फलों के बीजों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था। उनकी मेहनत और इनोवेटिव तरीकों को क्षेत्र के 400 से ज्यादा घरों ने इस्तेमाल करना शुरु कर दिया। उनके प्रयासों ने किसानों को नई फसलें उगाने और उनकी इनकम बढ़ाने में मदद की।
सुभाष खेतुलाल शर्मा, नेचुरल फार्मिंग, पद्म श्री
महाराष्ट्र के सुभाष खेतुलाल शर्मा ने टिकाऊ और ऑर्गैनिक खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1994 में केमिकल खेती के कारण उत्पादन में गिरावट देखने के बाद उन्होंने ऑर्गैनिक खेती अपनाई। उन्होंने गोबर, गुड़ और बारिश के पानी को रिजर्व करने जैसी तरीकों को अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने गांवों में टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती का रास्ता दिखाया और कई किसानों को इस ओर प्रेरित किया। सुभाष यवतमाल से आते हैं। महाराष्ट्र का यह जिला किसानों की आत्महत्या के कारण चर्चा में रहा लेकिन इस जगह से आज एक किसान का पद्म श्री जीतना उम्मीद की किरण दिखाता है।
हरिमन शर्मा, सेब सम्राट, पद्म श्री
4 अप्रैल 1956 को हिमाचल प्रदेश के गिलासिन गांव में जन्मे हरिमन शर्मा का बचपन कठिनाईयों से भरा रहा. उनकी मां का निधन उनके जन्म के तीन दिन बाद हो गया था। उन्हें पन्याला गांव के श्री रिडकू राम ने गोद लिया। हरिमन ने बचपन से ही कृषि के बारे में सीखा। 1992 में उनके क्षेत्र में बर्फ बारी से आम के पेड़ खराब हो गए, जिससे उन्होंने सेब की खेती का प्रयोग करने का फैसला किया, हालांकि सेब केवल ठंडे और ऊंचे क्षेत्रों में ही उगाए जाते थे।
पहले भी कई सम्मान पा चुके हैं हरिमन शर्मा
हरिमन शर्मा की मेहनत और लगन ने 700 मीटर की ऊंचाई और 40°C से 45°C के टेम्परेचर में उगने वाले सेब की एक नई प्रजाति डिवेलप की. 2007 में उन्होंने HRMN-99 नाम के सेब की प्रजाति तैयार की, जो गर्म जलवायु में भी उगाई जा सकती है। HRMN-99 सेब की प्रजाति भारत के सभी 29 राज्यों और नेपाल, बांग्लादेश, जर्मनी जैसे देशों में उगाई जा रही है। हरिमन को “नेशनल इनोवेटिव फार्मर अवार्ड” और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा “ग्रासरूट्स इनोवेशन अवार्ड” से सम्मानित किया गया है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में 1 लाख से अधिक सेब के पौधे लगाए और किसानों को इसकी खेती सिखाई।