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गन्ने की फसल को पायरिल्ला कीट से बचाने के आसान उपाय

उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा के गन्ना किसानों के लिए पायरिल्ला कीट मुसीबत बन गया है। यह कीट पत्तियों का रस चूसकर फसल को कमजोर कर देता है, जिससे उपज और गुणवत्ता दोनों गिर जाती हैं। अप्रैल से अक्टूबर तक इसका खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

कीट की पहचान और नुकसान
यह भूरे रंग का कीट होता है, जिसके सिर पर चोंच जैसी संरचना होती है। इसके हमले से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और गन्ने में चीनी की मात्रा कम हो जाती है। शुरुआती संक्रमण में उपज 50% तक घट सकती है।

रोकथाम के देसी तरीके
खेत में खरपतवार न रखें और संक्रमित पत्तियों को काटकर जला दें। सुबह-शाम खेत की निगरानी करें। प्रकाश प्रपंच (Light Trap) लगाकर वयस्क कीटों को फंसाएं।

जैविक नियंत्रण
मेटाराइजियम फफूंद का छिड़काव करें, जो 94% तक कीटों को खत्म कर देता है। परजीवी कीट जैसे टेट्रास्टिकस भी प्राकृतिक रूप से पायरिल्ला को कंट्रोल करते हैं।

रासायनिक दवाओं का सही उपयोग
अगर प्रकोप ज्यादा हो, तो डाईमेथोएट या क्वीनालफॉस जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें, लेकिन मात्रा और सुरक्षा नियमों का ध्यान रखें। इससे फसल सुरक्षित रहेगी और उपज बढ़ेगी।

गन्ने की फसल को पायरिल्ला कीट से बचाने के आसान उपाय

उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा के गन्ना किसानों के लिए पायरिल्ला कीट मुसीबत बन गया है। यह कीट पत्तियों का रस चूसकर फसल को कमजोर कर देता है, जिससे उपज और गुणवत्ता दोनों गिर जाती हैं। अप्रैल से अक्टूबर तक इसका खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

कीट की पहचान और नुकसान
यह भूरे रंग का कीट होता है, जिसके सिर पर चोंच जैसी संरचना होती है। इसके हमले से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और गन्ने में चीनी की मात्रा कम हो जाती है। शुरुआती संक्रमण में उपज 50% तक घट सकती है।

रोकथाम के देसी तरीके
खेत में खरपतवार न रखें और संक्रमित पत्तियों को काटकर जला दें। सुबह-शाम खेत की निगरानी करें। प्रकाश प्रपंच (Light Trap) लगाकर वयस्क कीटों को फंसाएं।

जैविक नियंत्रण
मेटाराइजियम फफूंद का छिड़काव करें, जो 94% तक कीटों को खत्म कर देता है। परजीवी कीट जैसे टेट्रास्टिकस भी प्राकृतिक रूप से पायरिल्ला को कंट्रोल करते हैं।

रासायनिक दवाओं का सही उपयोग
अगर प्रकोप ज्यादा हो, तो डाईमेथोएट या क्वीनालफॉस जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें, लेकिन मात्रा और सुरक्षा नियमों का ध्यान रखें। इससे फसल सुरक्षित रहेगी और उपज बढ़ेगी।

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