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प्राइवेट-सरकारी कॉलेज और विवि गांवों को लेंगे गोद

भोपाल, मध्यप्रदेश सरकार ने पिछड़े गांवों की तरक्की के लिए एक शानदार ढांचा तैयार किया है। इसके तहत प्रदेश के सभी प्राइवेट एवं सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय अब अपने कैंपस के पास बसे गांवों को गोद लेंगे। गांव को गोद लेने की प्रक्रिया इसी माह मार्च से शुरू हो जाएगी। सरकार का कहना है विश्वविद्यालयों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए और समाज के उत्थान में योगदान देना चाहिए। इस वक्त तक कॉलेजों में एनएसएस या एनसीसी यूनिट एक गांव का दौरा करती हैं, सामाजिक कार्य करती है और फिर किसी अन्य कार्य के लिए दूसरे गांव का चयन करती है। अब से, कॉलेज अपने पास के गांव की पहचान करेंगे और उसके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए काम करेंगे। उनका काम ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में बताने के अलावा सामाजिक बुराइयों से अवगत कराना भी होगा।

ग्रामीण भारत के होंगे दर्शन

योजना की शुरुआत होने के कारण अब स्टूडेंट और प्रोफेसर को गांव और ग्रामीणों के बीच जाने का मौका मिलेगा जिससे वह ग्रामीण भारत के बारे में जान सकेंगे। इसको छात्र एक मौके की तरह भी देख सकते हैं और रूरल डेवलपमेंट के अंतर्गत अपने इनोवेटिव आइडियाज को गोद लिए हुए गांव में एक्सपेरिमेंट के तौर पर पूरा कर सकते हैं।

समस्याओं की बनेगी रिपोर्ट

मार्च में गांव को गोद लेने के बाद यूनिवर्सिटीज का काम होगा कि वह गांव की तरक्की के लिए अलग-अलग उपाय सोचें और उस पर कार्य करें।  इसके साथ ही वह शासन द्वारा जारी की गयी योजनाओं को गांव के हर व्यक्ति तक पहुंचाते हुए उस योजना के द्वारा मिलने वाले लाभ के बारे में बताएंगे। साथ ही गांव की समस्याएं और सरकार की वह योजनाएं जो गांव तक ना पहुंची हो उस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। रिपोर्ट तैयार करने के बाद उसे उच्च शिक्षा विभाग को भेजना होगा।

इनका कहना है
यह योजना मध्य प्रदेश के पिछड़े गांवों में सुधार लाने के लिए जारी की जा रही है। यूनिवर्सिटी के द्वारा बनने वाली रिपोर्ट के बाद प्रशासन का लक्ष्य उन कमियों को दूर करने का होगा। अब कॉलेज में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्टूडेंट्स को पढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा।
डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री

प्राइवेट-सरकारी कॉलेज और विवि गांवों को लेंगे गोद

भोपाल, मध्यप्रदेश सरकार ने पिछड़े गांवों की तरक्की के लिए एक शानदार ढांचा तैयार किया है। इसके तहत प्रदेश के सभी प्राइवेट एवं सरकारी कॉलेज और विश्वविद्यालय अब अपने कैंपस के पास बसे गांवों को गोद लेंगे। गांव को गोद लेने की प्रक्रिया इसी माह मार्च से शुरू हो जाएगी। सरकार का कहना है विश्वविद्यालयों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आगे आना चाहिए और समाज के उत्थान में योगदान देना चाहिए। इस वक्त तक कॉलेजों में एनएसएस या एनसीसी यूनिट एक गांव का दौरा करती हैं, सामाजिक कार्य करती है और फिर किसी अन्य कार्य के लिए दूसरे गांव का चयन करती है। अब से, कॉलेज अपने पास के गांव की पहचान करेंगे और उसके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए काम करेंगे। उनका काम ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में बताने के अलावा सामाजिक बुराइयों से अवगत कराना भी होगा।

ग्रामीण भारत के होंगे दर्शन

योजना की शुरुआत होने के कारण अब स्टूडेंट और प्रोफेसर को गांव और ग्रामीणों के बीच जाने का मौका मिलेगा जिससे वह ग्रामीण भारत के बारे में जान सकेंगे। इसको छात्र एक मौके की तरह भी देख सकते हैं और रूरल डेवलपमेंट के अंतर्गत अपने इनोवेटिव आइडियाज को गोद लिए हुए गांव में एक्सपेरिमेंट के तौर पर पूरा कर सकते हैं।

समस्याओं की बनेगी रिपोर्ट

मार्च में गांव को गोद लेने के बाद यूनिवर्सिटीज का काम होगा कि वह गांव की तरक्की के लिए अलग-अलग उपाय सोचें और उस पर कार्य करें।  इसके साथ ही वह शासन द्वारा जारी की गयी योजनाओं को गांव के हर व्यक्ति तक पहुंचाते हुए उस योजना के द्वारा मिलने वाले लाभ के बारे में बताएंगे। साथ ही गांव की समस्याएं और सरकार की वह योजनाएं जो गांव तक ना पहुंची हो उस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। रिपोर्ट तैयार करने के बाद उसे उच्च शिक्षा विभाग को भेजना होगा।

इनका कहना है
यह योजना मध्य प्रदेश के पिछड़े गांवों में सुधार लाने के लिए जारी की जा रही है। यूनिवर्सिटी के द्वारा बनने वाली रिपोर्ट के बाद प्रशासन का लक्ष्य उन कमियों को दूर करने का होगा। अब कॉलेज में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्टूडेंट्स को पढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा।
डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री

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