आजादी के 75 साल बाद भी गांव को न मिली पक्की सड़क और न ही बिजली  

आजादी के 75 साल बाद भी गांव को न मिली पक्की सड़क और न ही बिजली  

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय जिला श्योपुर की कहानी

जिम्मेदार गांवों की सूरत बदलने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे

भोपाल, देश को आजाद हुए तकरीबन 75 साल हो गए हैं। इस दौरान रोटी-कपड़ा-मकान के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार के लिए बड़े-बड़े दाबे किए गए हैं। लेकिन विसंगति यह है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र के जिले श्योपुर के एक गांव में आज भी झोपड़ी में पाठशाला चल रही है। 

गांव में न सड़क है न बिजली है और न ही पीने का पानी है। फिर भी जिम्मेदार क्षेत्र के गांवों की सूरत बदलने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। इससे केंद्रीय मंत्री के जिले में शासन की योजनाओं को पलीता लग रहा है। दरअसल, श्योपुर जिले के वनांचल क्षेत्र में खूटका गांव का है। जहां स्थिति यह है कि, गांव में न बिजली है और नहीं पक्की सड़क, आवास और पीने के पानी के लिए भी पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। इससे यहां के रहवासियों को गांव की पहाड़ी से नीचे उतरकर नदी से पीने का पानी लाना पड़ता है। गर्मियों के सीजन में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाती है। इससे परेशान ग्रामीणों को घरों पर ताला लगाकर पलायन करने की नौबत का सामना तक करना पड़ता है।

अनूप ने दिया था आश्वासन

मुरैना-श्योपुर लोकसभा क्षेत्र के तत्कालीन सांसद अनूप मिश्रा ने जिले के दौरे के दौरान खूटका गांव में झोपडिय़ां देखकर हालातों के बारे में जानकारी ली गई थी। इसके बाद उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन भी दिया था कि गांव की तस्वीर बदली जाएगी। लेकिन हालात जस के तस हैं। गांव में एक भी पक्का मकान, पक्की सड़क, बिजली आदि के इंतजाम हैं और तो और गांव का सरकारी स्कूल भी घास की झोंपड़ी में संचालित हो रहा है। 

किसी ने नहीं ली सुध

इधर, खूटका गांव के उप सरपंच पोकर मारबाड़ी का कहना है कि कई सरकारें बदल गईं, लेकिन हमारे गांव में रत्ती भर भी विकास नहीं हो सका है। गांव में बिजली, सड़क आवास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ है। वहीं खूटका गांव के मेवाराम गुर्जर का कहना है कि पहले अनूप मिश्रा सांसद थे, तब उन्होंने हमारे गांव में विकास कराने का बादा किया था लेकिन, उनका कार्यकाल होने के बाद अभी तक हमारी किसी ने सुध नहीं ली है।
यह बात सही है कि खूटका गांव में पक्की सड़क और बिजली की कमी है। गांव में एक भी पक्का आवास नहीं है, लेकिन हम जल्द ही वहां सभी सुविधाएं मुहैया कराने का हर संभव प्रयास करेंगे। यहां सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह क्षेत्र वन रेंज में आता है। इसलिए पहले यहां के रहवासियों को विस्थापित किया जाएगा। तभी ये गांव विकास की मुख्यधारा से जुड़ेगा।
सीताराम आदिवासी, भाजपा विधायक विजयपुर