चंदन की खेती आपकी आमदनी में लगा सकती है चार चांद, जानिए कैसे

चंदन की खेती आपकी आमदनी में लगा सकती है चार चांद, जानिए कैसे

भोपाल, केंद्र सरकार का फोकस अगले दो सालों में किसानों की आमदनी बढ़ाकर दोगुनी करने पर है। इस दिशा में तेजी से काम भी किए जा रहे हैं। सरकार किसानों को नई-नई व्यावसायिक फसलों की खेती करने के लिए जागरूक रही है। चंदन की खेती से जुडक़र किसान करोड़पति बन सकते हैं। बशर्तें उन्हें धैर्य के साथ चंदन की खेती करनी होगी। अगर किसान आज चंदन के पौधे लगाते हैं तो 15 साल बाद किसान अपने उत्पादन को बाजार में बेचकर करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। देश में लद्दाख और राजस्थान के जैसलमेर को छोडक़र सभी भू-भाग में चंदन की खेती की जा सकती है।

मूल रूप से, चंदन की दो प्रसिद्ध किस्में

चंदन की कई किस्में हैं और ये विभिन्न किस्में दुनिया भर में उपलब्ध हैं। मूल रूप से, चंदन की दो प्रसिद्ध किस्में हैं जिनका बाजार में बहुत अधिक व्यावसायिक मूल्य है। चंदन के पत्तों का उपयोग पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है।  चंदन के पेड़ 30 साल की खेती के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। अगर आप जैविक खेती का तरीका अपना रहे हैं तो आपको चंदन का पेड़ 10 से 15 साल में मिल सकता है। भारत में चंदन के दो रंग सफेद, पीले और लाल रंग में उपलब्ध हैं। इस चंदन की खेती का सबसे अच्छी बात यह है कि आप मालाबार नीम के बागान में चंदन के पेड़ को इंटरक्रॉपिंग के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। 

चंदन की खेती के लिए सही मौसम

चंदन का पेड़ लगभग हर प्रकार की मिट्टी, जलवायु और तापमान में उग सकता है. चंदन के पेड़ की फसल को गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है और यह आर्द्र जलवायु परिस्थितियों में बेहतर होती है. चंदन के पेड़ की खेती के लिए भी 12° से 35°C के बीच तापमान की आवश्यकता होती है। 

कैसी हो मिट्टी

यदि आप चंदन के पेड़ की खेती की योजना बना रहे हैं तो आपको अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता हो सकती है, जिसमें जैविक खाद मौजूद हो। लाल बलुई दोमट मिट्टी भी चंदन के पेड़ के लिए उपयुक्त होती है और आपको उच्च उपज वाली फसल मिलती है।मिट्टी में चंदन के पौधे मौजूद हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए मिट्टी की जांच जरूरी है। चंदन के पेड़ की खेती के लिए मिट्टी के पीएच को 6.5 से 7.5 के बीच में थोड़ा सा क्षारीय होना चाहिए।  चंदन के पेड़ की रोपाई शुरू करने से पहले खेत की अच्छी से जुताई करें। साथ ही मिट्टी को इस तरह तैयार करें कि भारी बारिश या बाढ़ में पानी आसानी से नाले से निकल जाए। 

बुवाई का समय और जलवायु

अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है। पौधे बोने से पहले 2 से 3 बार अच्छी और गहरी जुताई करना जरूरी होता है। जुताई होने के बाद 2x2x2 फीट का गहरा गड्ढ़ा खोदकर उसे कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए। अगर आपके पास काफी जगह है तो एक खेत में 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें। मानसून के पेड़ में ये पौधे तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन गर्मियों में इन्हें सिंचाई की जरूरत होती है। चंदन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले इलाके में लगाना सही माना जाता है। इसके लिए 7 से 8.5 एचपी वाली मिट्टी उत्तम होती है। एक एकड़ भूमि में औसतन 400 पेड़ लगाए जाते हैं। इसकी खेती के लिए 500 से 625 मिमी वार्षिक औसम बारिश की आवश्यकता होती है। 

अकेले नहीं पनपता चंदन का पेड़ 

चंदन का पौधा अद्र्धजीवी होता है। इस कारण चंदन का पेड़ आधा जीवन अपनी जरुरत खुद पूरी करता है और आधी जरूरत के लिए दूसरे पेड़ की जड़ों पर निर्भर रहता है। इसलिए  चंदन का पेड़ अकेले नहीं पनपता है। अगर चंदन का पेड़ अकेला लगाया जाएगा तो यह सूख जाएगा। जब भी चंदन का पेड़ लगाएं तो उसके साथ दूसरे पेड़ भी लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि चंदन के कुछ खास पौधे जैसे नीम, मीठी नीम, सहजन, लाल चंदा लगाने चाहिए जिससे उसका विकास हो सके। 

कितनी और कौन सी खाद

चंदन की खेती में जैविक खाद की अधिक आवश्यकता नहीं होती है। शुरू में फसल की वृद्धि के समय खाद की जरुरत पड़ती है। लाल मिट्टी के 2 भाग, खाद के 1 भाग और बालू के 1 भाग को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। गाद भी पौधों को बहुत अच्छा पोषण प्रदान करता है।

कब करें सिंचाई

बारिश के समय में चंदन के पेड़ों का तेजी से विकास होता है लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी सिंचाई अधिक करनी होती है। सिंचाई मिट्टी में नमी और मौसम पर निर्भर करती है। शुरुआत में बरसात के बाद दिसंबरसे मई तक सिंचाई करना चाहिए। रोपण के बाद जब तक बीज का 6 से 7 सप्ताह में अंकुरण शुरू ना हो जाए तब तक सिंचाई को रोकना नहीं चाहिए। चंदन की खेती में पौधों के विकास के लिए मिट्टी का हमेशा नम और जल भराव होना चाहिए। अंकुरित होने के बाद एक दिन छोडक़र सिंचाई करें।

खरपतवार नियंत्रण

चंदन की खेती करते समय, चंदन के पौधे को पहले साल में सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। पहले साल में पौधों के इर्द-गिर्द की खरपतवार को हटाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दूसरे साल भी साफ-सफाई करनी चाहिए। किसी भी तरह का पर्वतारोही या जंगली छोटा कोमला पौधा हो तो उसे भी हटा देना चाहिए।

कीट एवं रोग नियंत्रण

चंदन की खेती में सैंडल स्पाइक नाम का रोग चंदन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इस रोग के लगने से चंदन के पेड़ सभी पत्ते ऐंठाकर छोटे हो जाते हैं। साथ ही पेड़ टेड़े-मेढ़े हो जाते हैं। इस रोग से बचाव के लिए चंदन के पेड़ से 5 से 7 फीट की दूरी पर एक नीम का पौधा लगा सकते हैं जिससे कई तरह के कीट-पंतगों से चंदन के पेड़ की सुरक्षा हो सकेगी। चंदन के 3 पेड़ के बाद एक नीम का पौधा लगाना भी कीट प्रबंधन का बेहतर प्रयोग है

फसल की कटाई

चंदन का पेड़ जब 15 साल का हो जाता है तब इसकी लकड़ी प्राप्त की जाती है। चंदन के पेड़ की जड़े बहुत खुशबूदार होती है। इसलिए इसके पेड़ को काटने की बजाय जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। पौधे को रोपने के पांच साल बाद से चंदन की रसदार लकड़ी बनना शुरू हो जाता है। चंदन के पेड़ को काटने पर उसे दो भाग निकलते हैं। एक रसदार लकड़ी होती है और दूसरी सूखी लकड़ी होती है। दोनों ही लकडिय़ों का मूल्य अलग-अलग होता है।

संभावित आय

चंदन का पौधा बाकी पौधों की तुलना में काफी महंगा मिलता है, लेकिन अगर आप कई सारे पौधे खरीदेंगे तो यह आपको औसतन 400 रुपए में मिल जाएगा। अब बात करें चंदन की लकड़ी के भाव की तो देश में 8 से 10 हजार रुपए प्रति किलों बिकती है। वहीं विदेश में ये 20 से 25 हजार रुपए किलों तक में बिकती है। अगर आप एक एकड़ में चंदन के पेड़ लगाते हैं तो इसके बाजार भाव के हिसाब से आप 60 लाख तक मुनाफा कमा सकते हैं।

देश में चंदन की मांग इतनी है कि इसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है। देश में चंदन की मांग 300 प्रतिशत है जबकि आपूर्ति मात्र 30 प्रतिशत है। देश के अलावा चंदन की लकड़ी की मांग चाइना, अमेरिका, इंडोनेशिया आदि देशों में भी है। वर्तमान में मैसूर की चंदन लडक़ी के भाव 25 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास है। इसके अलावा बाजार में कई कंपनियां चंदन की लडक़ी को 5 हजार से 15 हजार रुपए किलो के भाव से बेच रही है। एक चंदन के पेड़ का वजन 20 से 40 किलो तक हो सकता है। इस अनुमान से पेड़ की कटाई-छंटाई के बाद भी एक पेड़ से 2 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है।

किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं

देश में साल 2000 से पहले आम लोगों को चंदन को उगाने और काटने की मनाही थी। सात 2000 के बाद सरकार ने अब चंदन की खेती को आसान बना दिया है। अगर कोई किसान चंदन की खेती करना चाहता है तो इसके लिए वह वन विभाग से संपर्क कर सकता है। चंदन की खेती के लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। केवल पेड़ की कटाई के समय वन विभाग से  नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना होता है जो आसानी से मिल जाता है।

चंदन  की प्रजाति

पूरे विश्व में चंदन की 16 प्रजातियां है। जिसमें सेंलम एल्बम प्रजातियां सबसे सुगंधित और औषधीय मानी जाती है। इसके अलावा लाल चंदन, सफेद चंदन, सेंडल, अबेयाद, श्रीखंड, सुखद संडालो प्रजाति की चंदन पाई जाती है। सफेद चंदन को बढ़ने के लिए किसी सहायक पौधे की जरूरत होती है. सफेद चंदन के लिए सहायक पौधा अरहर है, जो कि पौधा के विकास में सहायक होता है। अरहर की फसल से चंदन को नाइट्रोजन तो मिलता ही है साथ ही इसके तने और जड़ों की लकड़ी में सुगंधित तेल का अंश बढ़ता जाता है।

बीज तथा पौधे लेने के लिए उपयुक्त स्थान

चंदन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक (Institute of wood science & technology) संस्थान बैंगलोर में है। यहां से आप चंदन की पौध प्राप्त कर सकते हैं। चंदन श्री नर्सरी, बेंगलोर 9342971231, 9980981347 और अल्बसन एग्रोफोरेस्ट्री नर्सरी, कानपुर 07233920101 है। केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक (Institute of wood science & technology) संस्थान बैंगलोर से भी चंदन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं। इसके लिए सम्पर्क सूत्र 8022190155 हैं. अधिक जानकारी के लिए Institute of Wood Science and Technology – ICFRE की वेबसाइट iwst.icfre.gov.in पर संपर्क कर सकते हैं।