गांवों में जलसंकट की आहट, हैंडपंप उगलने लगे हवा
गर्मी की दस्तक, मध्य प्रदेश में छाने लगा जल संकट
शिवपुरी जिल में निजी नलकूपों के खनन पर प्रतिबंध
खंडवा, बड़वानी और खरगोन में भी किल्लत बरकरार
भोपाल, एक तरफ समृद्ध प्राकृतिक संसाधन, अथाह जैवविविधता, सोना उगलते खेत और उद्योगों की बड़ी फेहरिस्त से मध्य प्रदेश विकसित राज्यों की दौड़ में खड़ा नजर आता है, लेकिन दूसरी तरफ इससे ठीक उलट प्रदेश में हर साल गर्मियों की दस्तक के साथ ही लोग बाल्टी-बाल्टी पानी को मोहताज होने लगते हैं। खासकर मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड और विंध्य इलाकों में पानी का संकट भयावह होता जा रहा है। मध्यप्रदेश के 40 से ज्यादा जिलों में मार्च के पहले ही सप्ताह में पानी को लेकर कोहराम शुरू हो गया है। कई शहरों में एक से चार दिन छोड़कर जल प्रदाय करना पड़ रहा है। हालांकि सूबे की शिवराज सरकार ने बजट में पीने का पानी के लिए सबसे अधिक फोकस किया है।
प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में भी मार्च महीने में ही पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है। इंदौर से ही सटे महू और एशिया के डेट्रायट कहे जाने वाले पीथमपुर में भी पानी के हाल बेहाल हैं। उज्जैन में पानी की त्राहि-त्राहि शुरू हो गई है। जल संकट के लिए बदनाम देवास में इस बार भी गर्मियों की आहट आते ही पानी का संकट खड़ा हो गया है। रतलाम की स्थिति भी ठीक नहीं है। इसी तरह नीमच में भी पानी की किल्लत शुरू हो गई है। उधर, निमाड़ के खंडवा, बड़वानी और खरगोन में भी गर्मी बढऩे के साथ जल संकट बढऩे लगा है। पूर्व मुख्यमत्री कमलनाथ की गृह जिला छिंदवाड़ा में भी पानी की कमी लोगों को खलने लगी है। सागर में जल संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है। विंध्य के रीवा-सतना वही शहर हैं, जहां इस साल भारी बारिश हुई थी। लगा था कि इस साल गर्मी में पानी की किल्लत नहीं होगी, लेकिन गर्मी की दस्तक के साथ ही यहां के हैंडपंप हवा उगलने लगे हैं।
हैंडपंप सुधार में फर्जीवाड़ा
यहां जल संकट
रीवा, सीधी, सिंगरौली, सतना, कटनी, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, अनूपपुर, जबलपुर, मंडला, बालाघाट, सिवनी, नरसिंहपुर, बैतूल, छिंदवाड़ा, हरदा, उज्जैन, अलीराजपुर, बड़वानी, बुरहानपुर, देवास, धार, इंदौर, झाबुआ, मंदसौर, महू, नीमच, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, श्योपुर, सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना, खजुराहो में अभी से जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
शिवपुरी जल अकाल घोषित
शिवपुरी जिले में पेयजल संकट को देखते हुए मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने निजी नलकूपों के खनन पर आगामी आदेश तक प्रतिबंध लगा दिया गया है। शिवपुुरी शहर के साथ ही जिले के अंतर्गत आने वाले संपूर्ण क्षेत्र में आगामी अन्य आदेश तक जल अकाल जिला घोषित किया गया है।
जबलपुर में जल संकट
जबलपुर में गर्मी का असर धीरे-धीरे अपने पांव पसारने लगा है। राजधानी से लेकर संस्कारधानी तक पानी का संकट लोगों को परेशान कर रहा है। बुंदेलखंड के कुछ जिलों में पानी का संकट इस कदर छा गया है कि पानी जलाशयों की विशेष निगरानी की जा रही है। जबलपुर के शहरी इलाकों में पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है।
इनका कहना है
जल जीवन मिशन के लिए 11,128 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस राशि से 14 हजार 228 नलजल योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। 33 लाख ग्रामीण परिवारों तक पानी पहुंचाया जाएगा। बजट में शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए 1,364 से बढ़ाकर 5942 करोड़ किया गया है।
तुलसी सिलावट, पीएचई मंत्री
गांव और शहरों को घर-घर नल के जरिए पानी पहुंचाने के लिए बजट को साढ़े तीन गुना बढ़ा दिया गया है। अब इस पर 5962 करोड़ रुपए खर्च करेंगे। जो मौजूदा वित्तीय वर्ष की तुलना में 337 फीसदी ज्यादा है। पहले यह बजट 1364 करोड़ था। जल जीवन मिशन के तहत यह काम पूरा किया जाएगा।
जगदीश देवड़ा, वित्त मंत्री
जल वितरण व्यवस्था एवं समस्याओं के निराकरण के संबंध में निगमायुक्त के साथ बैठक की है। जिसमें रांझी क्षेत्र में जल संकट को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। तय हुआ कि जल संकट वाले चिन्हित इलाकों में दो हफ्ते के पहले समस्या का समाधान खोज लिया जाएगा। गर्मी के दिनों में इन इलाकों में भारी जल संकट बन जाता है।
अशोक रोहाणी, विधायक, कैंट, जबलपुर