मोटे अनाज से गांव की महिलाएं कमा रहीं लाखों रुपए, पीएम मोदी भी मन की बात में कर चुके हैं तारीफ

मोटे अनाज से गांव की महिलाएं कमा रहीं लाखों रुपए, पीएम मोदी भी मन की बात में कर चुके हैं तारीफ

नई दिल्ली। केंद्रीय बजट 2023 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में मोटे अनाज यानी मिलेट्स की पैदावार बढ़ाने के लिए श्री अन्न योजना शुरुआत करने की घोषणा की है। बजट भाषण में उन्होंने मोटे अनाज को श्री अन्न कहा है। अपनी स्पीच में उन्होंने ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टु, रामदाना, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना और सामा जैसे मोटे अनाजों का जिक्र किया है। मोटे अनाज के कई स्वास्थ्य फायदे हैं।

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मोटे अनाज मंडुवे, जौ, मक्का, चौलाई की खेती होती है। मंडुवे से रोटी, बिस्कुट, मोमो समेत कई फूड प्रोडक्ट्स बनते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी भी अपने मन की बात कार्यक्रम में मंडुवे के बिस्कुट की काफी तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने बागेश्वर जिले के मां चिल्ठा सहकारिता समूह को देश के किसानों के लिए इसे प्रेरणा स्त्रोत भी बताया था।

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पीएम मोदी ने कही थी ये बात

साल 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के मुनार गांव में रहने वाली महिलाओं द्वारा स्थापित मां चिल्ठा सहकारिता समूह की तारीफ की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि,'उत्तराखंड के बागेश्वर में मुख्य रूप से मंडुवा, चौलाई होता है। मंडुवे के बिस्कुट में काफी मात्रा में आयरन होता है। ये बिस्कुट गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी हैं। इन किसानों ने मुनार गांव में एक सहकारी संस्था बनाई और बिस्कुट बनाने की फैक्ट्री खोली है।

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किसानों की हिम्मत देखकर प्रशासन ने भी इसे राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जोड़ दिया। ये बिस्कुट अब न सिर्फ बागेश्वर जिल में बल्कि कौसानी और अल्मोड़ा में भी पहुंचाए जा रहे हैं।किसानों की मेहनत से संस्था का सालाना टर्नओवर न केवल 10 से 15 लाख रुपए पहुंच गया है बल्कि 900 से अधिक परिवारों को रोजगार के अवसर मिल चुके हैं। इस जिले से होने वाला पलायन भी रुक गया है।'      


हिलांश नाम से ब्रांडिंग

चिल्ठा सहकारिता समूह मोटे अनाज के जरिए हर महीने दो हजार बिस्कुट के पैकेट तैयार कर रहा है, जिससे महिलाओं की सालाना 10 लाख से 15 लाख रुपए तक की आमदनी हो रही है। महिलाओं ने किसानों से मंडुवा के अलावा चौलाई, मक्का और जौ जैसे मोटे अनाज खरीदे और वेल्यू एडिशन कर उसे उत्पाद बनाकर बाजार में उतारा।

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किसानों को जहां पहले चौलाई के लिए 25 रुपए प्रति किलो मिला करते थे। इस प्रयास के बाद 50 रुपए प्रति किलो दाम मिल रहे हैं।वहीं, बाजार में हिलांस ब्रांड के नाम से बिस्कुट की ब्रांडिंग की गई। एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना और अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास परिषद यानी आईफेड ने इसे नई पहचान दी। राज्य के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में मंडुवे और चौलाई के बिस्कुट की सप्लाई की गई।  

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मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक भारत

  बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने साल 2023 को 'मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष' घोषित किया है।  सरकार श्री अन्न योजना के तहत भारत को ग्लोबल हब बनाने की तैयारी कर रही है। हैदराबाद स्थित भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जाएगा। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा था कि भारत बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। श्री अन्न की फसलों के लिए काफी कम पानी की जरूरत होती है।

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