पशु चिकित्सा अधिकारियों का उन्नत पशुपोषण तकनीक पर प्रशिक्षण सम्पन्न  

पशु चिकित्सा अधिकारियों का उन्नत पशुपोषण तकनीक पर प्रशिक्षण सम्पन्न  

दतिया, कृषि विज्ञान केन्द्र दतिया पर दिनांक 06.02.2021 को उन्नत पशु पोषण तकनीकिया  विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षण में पशुपालन विभाग के 26 पशु चिकित्सा अधिकारीयों तथा आत्मा विभाग के 3 अधिकारियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा पनुीत कुमार के मार्गदर्शन एवं पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डा जी. दास के मुख्य आतिथ्य में तथा डा रूपेश जैन वैज्ञानिक पशुपालन के तकनीकी निर्देशन में सम्पन्न हुआ।

अपने उद्भोदन में डा पुनीत कुमार ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम कृषको को समन्वित कृषि पद्धति अपनाने की सलाह दें। जिसमें कृषक कृषि के साथ पशुपालन को भी आर्थिक समृद्धि के लिये एक व्यवसाय के  रूप में करना शुरू करे।  उपसंचालक डा जी. दास ने पशु आहार को संतुलित करने हेतु महत्वपूर्ण सलाह दी तथा संतुलित पशु आहार को दतिया के पशुपालकों को अपनाने की सलाह दी।

तकनीकी सत्र में डाॅ रूपेश जैन द्वारा उन्नत पशु पोषण तकनीकियों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। हाइड्रोपाॅनिक्स हरा चारा उत्पादन तकनीकी के बारे में डाॅ जैन ने बताया कि इस तकनीकी में बिना भूमि के, हरे चारे को प्लास्टिक की टेª में तैयार किया जाता है। इस तकनीकी से लघु व सीमांत किसान, जिनके यहा कम पानी की उपलब्धता है, वे किसान भी हरा चारा उत्पादन कर पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि कर सकते हैं। 

इसमें बिना भूमि के, पानी और उसमें धुले हुये पोषक तत्वों के माध्यम से, कम समय में वातावरणीय नियंत्रण परिस्थितियों में हरे चारे की खेती की जाती हैं इसे खिलाने से दूध में बढोत्तरी होती है। अजोला उत्पादन तकनीक के बारे में डा रूपेश जैन ने बताया कि इसमें शुष्क वजन के आधार पर 25-35 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज एवं 7-10 प्रतिशत अमीनो एसिड, बायो-एक्टिव पदार्थ तथा बायो-पालीमर होता है। 

गेंहूं के भूसे का यूरिया द्वारा उपचार तकनीक  के बारे में डा जैन ने बताया कि इस तकनीकी में  100 कि.ग्रा. गेहू के भूसे को  4 कि. ग्रा. यूरिया द्वारा उपचारित किया जाता है जिससे न केवल इन सूखे चारे की पाचकता एवं स्वादिष्टता बढ़ जाती है अपितु पौष्टिकता में भी वृद्धि हो जाती है और इस तरह पषुओं में हरे चारे की उपलब्धता की कमी को कुछ हद तक पूरा किया जा सकता है ।

यूरिया मोलेसिस मिनरल ब्लाक (पशु चाट) उत्पादन तकनीक के बारे में डा रूपेश जैन ने बताया कि पशं चाट का उपयोग पशुओं को मिनरलस एवं उर्जा की आपूर्ति के लिये किया जाता है। 

पशु चाट बनाने के लिये गेहूं की चोकर, मोलेसिस, यूरिया, सीमेंट, नमक एवं विटामिन पाउडर का उपयोग किया जाता है। स्ंतुलित आहार तकनीक के बारे में डा रूपेश जैन ने बताया कि डेयरी फार्मिंग में तीन महत्वपूर्ण पहलू होते है जो कि डेयरी फार्मिंग के क्राँतिक कारक कहे जा सकतें है।

आहार प्रबंधन, प्रजनन एवं  स्वास्थ्य प्रबंधन। जानवरों में आहार उसके रखने के उद्देष्य व उसकी षारीरिक अवस्था पर निर्भर करता है। जैसे षरीर रखरखाव के लिए आहार ,उत्पादन के लिए आहार और गर्भावस्था के लिए आहार आदि। यदि पशुओं का उचित मात्रा में उनकी आवश्यकता अनुसार आहार दिया जाये तो उनसे भरपूर उत्पादन लिया जा सकता है। 

अंत में सभी अधिकारियों को केन्द्र पर स्थापित डेयरी इकाई, मुर्गीपालन इकाई, वर्मी कम्पोस्ट इकाई, मछली हैचरी इकाई, मछली पालन इकाईयों का भ्रमण कराया गया सभी अधिकारियों द्वारा पद्रर्शन इकाईयों की प्रशंसा की गई।