खेती के लिए इस शख्स ने छोड़ दी तगड़ी सैलरी वाली नौकरी, मोटे अनाज से कर रहे मोटी कमाई

खेती के लिए इस शख्स ने छोड़ दी तगड़ी सैलरी वाली नौकरी, मोटे अनाज से कर रहे मोटी कमाई

 खेती के लिए इस शख्स ने छोड़ दी तगड़ी सैलरी वाली नौकरी, मोटे अनाज से कर रहे मोटी कमाई

नांदयाल। आज के युग की देश-विदेश उच्च व तकनीकी शिक्षा और तगड़ी सैलरी वाली नौकरी पर गांव के खेतों की खुशबू भारी पड़ रही है। युवा अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर खेती में अपना हुनर दिखा रहे हैं और लाखों की आमदनी कर रहे हैं। दरअसल, आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले के रहने वाले केवीं रामा सुब्बा रेड्डी ने मोटे अनाज (Millets) के लिए अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी।

उन्होंने नौकरी छोड़ मिलेट्स की खेती शुरू की। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को अपने 'मन की बात' प्रोग्राम में केवीं रामा सुब्बा रेड्डी का जिक्र किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी किसान के बारे में ट्वीट किया है। 

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सरकार मोटे अनाज की खेती के लिए कर रही प्रोत्साहित 
बता दें कि केंद्र सरकार किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। दुनियाभर में इंडियन मिशंस भी मिलेट्स की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। सरकार का यह प्रयास और दुनिया में बढ़ने वाली मिलेट्स की डिमांड छोटे किसानों (Farmers) को बड़ी ताकत देने वाली है। 

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पौष्टिक तत्वों से भरपूर है मिलेट्स
मिलेट्स एक सम्पूर्ण आहार है, जो कि हर उम्र के लोगों के लिए लाभकारी है। इसमें प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को सुरक्षा और ताकत प्रदान कर रोगों से लड़ने के लिए सक्षम बनता है। मिलेट्स का नियमित सेवन शरीर को मोटापे से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। Millets को बनाएं नियमित आहार का भाग, तभी स्वस्थ शरीर जीवन भर साथ देगा।

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नौकरी छोड़ शुरू की मिलेट्स की खेती

आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले के रहने वाले केवीं रामा सुब्बा रेड्डी जी ने अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी कर रहे थे। लेकिन मिलेट्स के फायदे को जानने के बाद उन्होंने हाई सैलरी वाली नौकरी छोड़कर मिलेट्स की खेती शुरू कर दी। उनका कहना है कि मां के हाथों से बने Millets के पकवानों का स्वाद कुछ ऐसा रचा-बसा था कि इन्होंने अपने गांव में बाजरे की प्रोसेसिंग यूनिट (Millets Processing Units) ही शुरू कर दी।

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मिलेट्स से बन रहे खाकरा, बिस्कुट और लड्डू
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ट्वीट कर कहा, कर्नाटक के कलबुर्गी में Aland Bhootai Millets Farmers Producer Company ने पिछले साल Indian Institute of Millets Research की देखरेख में काम शुरू किया।

यहां के खाकरा, बिस्कुट और लड्डू लोगों को भा रहे हैं। वहीं, ओडिशा के आदिवासी जिले सुंदरगढ़ की करीब डेढ़ हजार महिलाओं का सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG), Odisha Millets Mission से जुड़ा है। यहां महिलाएं मिलेट्स से कुकीज, रसगुल्ला, गुलाब जामुन और केक तक बना रही हैं। बाजार में इनकी खूब डिमांड होने से महिलाओं की आमदनी भी बढ़ रही है।

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20 वर्षों से Millets पैदावार में दे रही योगदान
महाराष्ट्र में अलीबाग के पास केनाड गांव की रहने वाली शर्मीला ओसवाल पिछले 20 वर्षों से Millets की पैदावार में यूनिक तरीके से योगदान दे रही हैं। वो किसानों को स्मार्ट एग्रीकल्चर की ट्रेनिंग दे रही हैं। उनके प्रयासों से न सिर्फ Millets की उपज बढ़ी है, बल्कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हुई है।

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