मोटे अनाज की खेती को लेकर उप्र की योगी सरकार सजग, डेढ लाख किसानों को मिलेगी ट्रेनिंग, गांवों में खुलेंगे उटलेट्स

लखनऊ। मोटे अनाज (Millets) को लेकर केंद्र साथ-साथ अब राज्य सरकारें भी सजग होती जा रही हैं। इसे बढ़ावा देना के लिए नित नए -नए कदम उठा रही हैं। दरअसल, सरकार ने बजट में मोटे अनाज (Millets) की खेती पर जोर दिया है। वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने मोटे अनाजों के सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सप्लाई के लिए इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ मिलेट्स (Institute of Millets) का गठन करने की घोषणा की है।
इधर, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) मिलेट्स को मोती बनाने में जुट गई है। अगले पांच साल का प्लान बनकर तैयार है। योजना के तहत खेती के उन्नत तौर तरीकों की ट्रेनिंग के लिए करीब 1,37,300 किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
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गांवों में खुलेंगे मोटे अनाज के आउटलेट्स
योजना के अनुसार इस दैरान सरकार मिलेट्स के प्रोसेसिंग, पैकिंग को डिस्ट्रीब्यूशन के 55 केंद्र खोलेगी। मोबाइल आउटलेट, मंडी में अलग से जगह आवंटन, ग्राम्य विकास विभाग की मदद से गावों में इनके आउटलेट्स खोलने की योजना है। आपको बता दें कि मिलेट्स जैसे कोदो, रागी, बाजरा, ज्वार, समां, कुट्टू, रामदाना आदि मोटे अनाजों के प्रोडक्शन को भारत में बढ़ाने के लिए सरकार बड़े कदम उठा रही है।
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इनके लिए मुफीद होगी मोटे अनाजों की खेती
कृषि के जानकर गिरीश पांडेय का कहना है कि उत्तर प्रदेश में करीब 70% लोग खेती-बाड़ी पर निर्भर हैं। इसमें से भी करीब 90% सीमांत और लघु किसान हैं। ये वही वर्ग है जिसकी 1960 से पहले थाली का मुख्य हिस्सा मोटे अनाज ही थे। इस वर्ग के अधिकांश अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग हैं। परंपरागत खेती में लगने वाले इनपुट इनकी पहुंच के बाहर हैं।
ऐसे में यह किसी तरह से अपने छोटे-मोटे जोत पर खेती करते हैं। इससे इनका बामुश्किल गुजारा हो पाता है। कम पानी, खाद और किसी भी भूमि पर होने वाले मोटे अनाजों की खेती इस वर्ग के लिए सबसे मुफीद होगी।
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पौष्टिक का बेहतर सोर्स
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ज्वार ग्लूटेन फ्री है और प्रोटीन का अच्छा सोर्स है। डायबिटीज के मरीजों के लिए बढ़िया भोजन है। बाजरा इसमें विटामिन बी6, फॉलिक एसिड मौजूद है। ये खून की कमी को दूर करता है। रागी या मड़ुआ नेचुरल कैल्शियम का सोर्स है। बढ़ते बच्चे और बुजुर्गों की हड्डी मजबूत करने में मदद करता है। सांवा या सामा फाइबर और आयरन से भरपूर है। एसिडिटी, कब्जियत और खून की कमी को दूर करता है। कंगनी डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। बीपी और बेड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
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कोदो भी फाइबर से भरपूर है। घेंघा रोग, रुस्सी की समस्या से संबंधित बीमारी और बवासीर में फायदेमंद है। कुटकी एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम हेल्दी हार्ट और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है। कुट्टू अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झड़ने से रोकता है।
मोटे अनाजों को श्रीअन्न का दर्जा
भारत के ही प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया है। लिहाजा भारत की भूमिका इसमें सर्वाधिक अहम हो जाती है। भारत का प्रयास भी यही है कि वह इस मामले में अगुआ बनकर उभरे। बजट में अब तक कदन्न माने जाने वाले मोटे अनाजों को श्रीअन्न का दर्जा देकर और इसके लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने जैसी घोषणाएं इसका प्रमाण हैं।