मध्यप्रदेश के खेतों में भी पैदा हो रही स्ट्रॉबेरी

मध्यप्रदेश के खेतों में भी पैदा हो रही स्ट्रॉबेरी

भोपाल। मध्यप्रदेश में युवा किसान खेती में इनोवेशन करके रिस्क लेकर नई-नई फसल उगाकर खूब लाभ कमा रहे हैं। बड़वानी जिले के सेंधवा से 15 किमी दूर सालीटांडा गांव के युवा किसान हिमांशु डावर की, जो इन दिनों स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।

2000 पौधे लगाकर कमाया 80000

उन्होंने 3600 वर्ग फीट के प्लॉट पर 2 हजार पौधे लगाकर 80 हजार रुपए मुनाफा कमाया है। स्ट्रॉबेरी की खेती उन्होंने यूट्यूब से सीखी है। आज वे हजारों कमा रहे हैं। किसान हिमांशु ने इस बार आधा बीघा जमीन में स्ट्रॉबेरी लगाई है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की नर्सरी से स्ट्रॉबेरी के 6 हजार पौधे बुलाकर लगाए हैं। इस बार भी फसल अच्छी आई है। स्ट्रॉबेरी बाजार में 250 से 280 रुपए प्रति किलो भाव मिल रहा है। हिमांशु अभी स्ट्रॉबेरी को सेंधवा, राजपुर और बड़वानी में बेच रहे हैं।

आर्थिक स्थिति सुधारने की खेती

हिमांशु डावर और उनके पिताजी 5 एकड़ खेती में पारंपरिक रूप से गेहूं, मक्का, कपास की खेती करते थे। इससे घर का गुजारा ही हो पाता था। साल में 40 से 50 हजार रुपए की उपज मुश्किल से बेच पाते थे। हिमांशु ने बताया कि वे सिर्फ 10वीं तक पढ़े हैं। पारिवारिक परिस्थिति और अन्य कारणों से आगे नहीं पढ़ पाए। उन्हें खेती का ही काम आता था। उन्हें पता चला कि चाचा स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। यह हिमांशु के लिए कुछ नया था। बाजार में तो उन्होंने स्ट्रॉबेरी देखी थी, लेकिन इसकी खेती कैसे होती है, यह जानने के लिए वे खरगोन जिले के झिरन्निया तहसील में रहने वाले अपने चाचा संजय डावर के पास गए। उनसे स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जाना, लेकिन इतना समझ नहीं पाए। फिर यूट्यूब पर सर्च किया तो कई जानकारियां मिली।

नासिक-हिमाचल से मिला पौधा

हिमांशु डावर ने बताया कि नासिक के सापुतारा से भी पौधे मंगवाए थे, लेकिन एक पौधा 12 रुपए का पड़ रहा था, जो काफी महंगा था। इसके बाद यूट्यूब के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की नर्सरी से संपर्क किया, वहां से एक पौधा 5 रुपए में मिला, जो ऑर्डर के एक दिन बाद इंदौर आ जाता है।

गिलहरी, चिडिय़ा से नुकसान

स्ट्रॉबेरी को दिन में गिलहरी, चिडिय़ा और रात में उदबिलाव और कोलीया (जंगली जानवर) से बचाना पड़ता है। ये स्ट्रॉबेरी को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए रात में भी खेत में रोशनी करना पड़ती है। हिमांशु के खेत की स्ट्रॉबेरी बड़वानी, राजपुर, सेंधवा, नागलवाड़ी सहित अन्य क्षेत्र में पसंद की जाती है। बड़वानी, सेंधवा के कई डॉक्टर, मेडिकल, व्यवसायी और अन्य सीजन में सीधे संपर्क करते हैं।

250 ग्राम के पैकेट बनाकर बेच रहे

बाजार में स्ट्रॉबेरी बेचने के लिए 250 ग्राम के पैकेट बनाते हैं। अभी क्षेत्र के कई लोग 10 से 15 पैकेट के ऑर्डर देते हैं। वर्तमान में लगाई फसल 10 दिन में आ जाएगी। हिमांशु अभी छोटे स्तर पर इसकी खेती कर रहे हैं। आने वाले समय पर इसे एक एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में करेंगे। स्ट्रॉबेरी के साथ खेत में करीब 700 पौधे संतरे के भी लगाए हैं।

सितंबर-अक्टूबर में बोवनी

स्ट्रॉबेरी की खेती सामान्य तौर पर पहाड़ी और ठंडे इलाकों में की जाती है। यह कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में होती है। कुछ साल से मप्र, महाराष्ट्र, उप्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। इसकी बोवनी सितंबर और अक्टूबर में होती है। ठंडी जगहों पर फरवरी और मार्च में बोया जाता है। मप्र में खेती करने वाले किसान इसकी अक्टूबर अंत में बोवनी करते हैं।