डिजिटल होंगे ग्रामीण विकास बैंक, कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंकों के कंप्यूटरीकरण की योजना का शुभारंभ
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राज्यों के सहकारी समिति के रजिस्ट्रार कार्यालय (Registrar of Cooperative Societies) और कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंकों (Agriculture and Rural Development Banks) के कंप्यूटरीकरण की योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा और सचिव, सहकारिता मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सहकार से समृद्धि के विज़न को साकार करने की दिशा में आज हम एक और कदम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर सहकारिता से जुड़े लोगों की बहुत पुरानी मांग को पूरा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के 10 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और इन 10 साल में देश के गांव, गरीब और किसानों के लिए मोदी जी ने 2 महत्वपूर्ण काम किए हैं। शाह ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश के करोड़ों गरीबों के जीवनस्तर को उठाने के लिए अकल्पनीय सहायता की है, जिससे लगभग 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारिता के माध्यम से करोड़ो लोगों को स्वरोजगार के साथ जोड़ने का एक मज़बूत तंत्र खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि एक विस्तृत विज़न के साथ दोनों कामों को एकसाथ करते हुए मज़बूत ग्रामीण विकास की नींव डालने का काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के 2 कदम- डिजिटल इंडिया और सहकारिता मंत्रालय की स्थापना- देश में समृद्ध गांवों की नींव डालने वाले और विकसित भारत की सोच को ग्रासरूट तक ले जाने वाले साबित होंगे।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज डिजिटल इंडिया के तहत सहकारिता भी डिजिटल माध्यम से गांवों तक पहुंचनी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्यों के सहकारी समिति के रजिस्ट्रार कार्यालय एवं कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंकों केकम्प्यूटराइज़ेशन के माध्यम से प्राथमिक कृषि ऋण समिति (PACS)से लेकर पूरी सहकारिता व्यवस्था को आधुनिक बनाने का काम मोदी जी ने किया है। शाह ने कहा कि इन दोनों कामों में लगभग सवा दो सौ करोड़ रूपए की लागत आएगी, जिनमें से ARDBs पर 120 करोड़ रूपए और RCS पर 95 करोड़ रुपए की लागत आएगी। उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी और मध्यम और दीर्घकालीन ऋण लेने वाले किसानों के लिए आज से एक सरल सुविधा की शुरूआत होगी।अमित शाह ने कहा कि पिछले 2 साल में मोदी सरकार ने सहकारिता में डिजिटल इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए चरणबद्ध तरीके से एक दूरगामी सोच के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय बनने के तुरंत बाद सबसे पहले 65000 पैक्स, केन्द्रीय रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव्स और फिर पैक्स के साथ साथ सभी ज़िला और राज्य सहकारी बैंकों का कम्प्यूटराइज़ेशन किया गया। इसके बाद राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया गया और अब ARDBs और RCS के कम्प्यूटराइज़ेशन के साथ ही पूरा सहकारिता क्षेत्र आज डिजिटल दुनिया में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि 65000 पैक्स के कम्प्यूटराइज़ेशन के लिए आधुनिक और लोगों के साथ संवाद करने योग्य सॉफ्टवेयर को नाबार्ड द्वारा तैयार किया गया है और इसी के साथ ये सभी पैक्स इससे जुड़ जाएंगे। इसी प्रकार केन्द्रीय पंजीयक कार्यालय के कम्प्यूटराइज़ेशन का काम भी पूरा हो चुका है, जिससे इस कार्यालय के सभी काम एक ही सॉफ्टवेयर से हो सकेंगे। शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के माध्यम से राज्यों, तहसील, ज़िला और ग्रामस्तर पर कोऑपरेटिव्स की सही जानकारी सामने आ जाएगी जिससे सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए एक रूपरेखा तैयार की जा सकेगी। उन्होंने कहा किवैक्यूम को भरने के लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बहुत उपयोगी सिद्ध होने वाला है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि RCS कार्यालय के कंप्यूटराइजेशन होने के साथ ही इससे राज्यों की स्थानीय भाषाओं में संवाद हो सकेगा। उन्होंने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास बैंक पर उच्चतम स्तर पर ध्यान न देने के कारण ये अपनी भूमिका अच्छे तरीके से नहीं निभा पाए हैं। उन्होंने कहा कि मध्यम और दीर्घकालीनऋण के लिए यह एक बहुत उपयोगी व्यवस्था है जो आधुनिक खेती की ओर जाने के लिए किसान को पूंजी मुहैया कराती है। शाह ने कहा कि अगर हम खेती को आधुनिक नहीं बनाएंगे तो न हम उपज बढ़ा पाएंगे और न ही किसानों को समृद्ध कर पाएंगे।अमित शाह ने कहा ARDBs के कंप्यूटराइजेशन से इनकी operational efficiency में बहुत सुधार आएगा, एकाउंटिंग में एकरूपता आएगी और पारदर्शिता बढ़ने के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि सरकार, नाबार्ड द्वारा सभी प्राइमरी कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर और रूरल डेवलपमेंट बैंक और स्टेट कोऑपरेटिव रूरल डेवलपमेंट बैंक को एक राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर से जोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है। इससे सभी प्रकार के कृषि ऋण का लिंकेज मजबूत हो सकेगा। शाह ने कहा कि देश के 1851 ARDBs की शाखाओं का कंप्यूटराइजेशन होने से इनसे जुड़े 1 करोड़ 20 लाख किसानों को बहुत फायदा होगा।
कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (ARDB) की कम्प्यूटरीकरण परियोजना के तहत 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित ARDB की 1851 इकाइयों को कम्प्यूटरीकृत करने और उन्हें एक कॉमन नेशनल सॉफ्टवेयर के माध्यम से NABARD से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। सहकारिता मंत्रालय की यह पहल Common Accounting System (CAS) और Management Information System (MIS) के माध्यम से व्यावसायिक प्रक्रियाओं को standardized कर ARDB के परिचालन, दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ाने का काम करेगी। इसके अलावा, इस पहल का उद्देश्य transaction cost को कम करना, किसानों को ऋण वितरण में सुविधा प्रदान करना और योजनाओं की बेहतर monitoring और assessment के लिए real time data access को enable करना है।