उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहन
नई दिल्ली, सरकार किसान ड्रोन, जलवायु की दृष्टि से सुदृढ़ किस्मों, एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल, सूक्ष्म सिंचाई, सटीक खेती, मिट्टी संबंधी सेंसर, बायोफोर्टिफाइड किस्मों और डिजिटल मार्केटिंग सहित उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देती है। इन तकनीकों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन, नमो ड्रोन दीदी, कृषियोन्नति योजना, कृषि मशीनीकरण से संबंधित उप-मिशन और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से छोटे एवं सीमांत किसानों के बीच बढ़ावा दिया जाता है। इन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने और इनके उपयोग को बढ़ाने हेतु, सरकार ने देश में 731 कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) का एक नेटवर्क स्थापित किया है। ये केवीके उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कार्यप्रणालियों का प्रदर्शन व प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ किसानों की क्षमता के विकास में भी मदद करते हैं।
जैसा कि बजट 2024-25 में दर्शाया गया है, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के तहत कृषि अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) के प्रावधानों को निम्नानुसार बढ़ाया गया है: -
वर्ष रुपये (करोड़ में)
2022-23 8658.89
2023-24 9876.60
2024-25 9941.09
कृषि अनुसंधान एवं विकास के प्रमुख फोकस क्षेत्र हैं:
विभिन्न किस्मों और जलवायु दृष्टि से कुशल कार्यप्रणालियों एवं उपकरणों के माध्यम से भारतीय कृषि में जलवायु संबंधी सुदृढ़ता को विकसित करना, तिलहन और दलहन की किस्मों के विकास पर विशेष ध्यान, प्राकृतिक संसाधनों (भूमि एवं जल) का संरक्षण और प्रबंधन, भारतीय आबादी में अल्प पोषण की समस्या से निपटने हेतु बायोफोर्टिफाइड किस्मों का विकास, पोषण एवं खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ सतत विकास हेतु खेत की फसलों, बागवानी, मत्स्यपालन और पशुधन क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी आधारित समर्थन, सतत कृषि विकास के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों के साथ कृषि उत्पादन और फसल कटाई के बाद के मशीनीकरण का उन्नयन, कृषि शिक्षा, प्रबंधन एवं सामाजिक विज्ञान को सुदृढ़ बनाना, प्रौद्योगिकी का परीक्षण, प्रदर्शन और किसानों के खेतों तक उसके प्रसार हेतु कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को सुदृढ़ करना।
यह जानकारी केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।