बासमती के बाद अब नर्मदापुरम खेतों में लहराएगी जैविक काली धान

बासमती के बाद अब नर्मदापुरम खेतों में लहराएगी जैविक काली धान

भोपाल। खाद्यान की पैदावार में अग्रणी होते जा रहे नर्मदापुरम जिले में परंपरागत खेती से हटकर अब किसानों का रुझान अलग तरह की खेती की ओर भी बढ़ता जा रहा है। लगातार एक दशक से बासमती धान की पैदावार कर मुनाफा कमाने वाले किसानों का ध्यान अब काली धान की ओर भी बढ़ रहा है।

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स्वाद के साथ सेहत के गुणों की खान कहे जाने वाले काला धान की खेती इस बार से शुरू हो चुकी है। नर्मदा तट के डोंगरवाड़ा गांव के प्रगतिशील किसान ब्रजेश मिश्रा व अन्य किसानों के द्वारा पहली बार काला धान की बोवनी की गई थी। जिसकी पैदावार अच्छी होने पर किसानों में प्रसन्नता है। उनकी धान की फसल को कई किसान देखने के लिए उनके खेत में पहुंचे हैं। जो अब अगली बार काले धान लगाने का मन बना रहे हैं।

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काली धान की पैदावार से उत्साह

प्रयोग के तौर पर पहली बार जैविक काली धान लगाने के बाद जब पैदावार अच्छी हुई तो डोंगरवाड़ा गांव में किसानों ने हर्ष व्यक्त किया है। ब्रजेश मिश्रा पहले किसान हैं जिन्होंने पूर्व में काला गेहूं की पैदावार की थी उसके बाद तीन एकड़ में उन्होंने काला धान की खेती करके सफल हुए हैं।

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तीन गुना अधिक काला धान का दाम

खेती में लागत बढ़ती जा रही है। किसान लाभकारी मूल्य चाहते हैं, लेकिन उन्हें जो दाम मिलते हैं उससे सिर्फ खर्च निकलता है जो फायदा होना चाहिए उसमें कमी मेहसूस की जाती है। क्योंकि बीज, खाद,कटाई तथा रखरखाव में बहुत खर्च हो जाता है। ऐसी स्थिति में अधिक दाम देने वाली उपज की ओर किसान अग्रसर हो रहे हैं।

300 से 400 रुपए किलो चावल

काली धान से किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। क्योंकि काला धान सामान्य धान की अपेक्षा कई गुना महंगा बिकता है। बाजार में इसका चावल 300 से लेकर 400 रुपए किलो तक बिकता है। वहीं विदेशों में भी इस चावल की काफी मांग है। क्योंकि इसकी पैदावार सामान्य धान की तुलना में कम होती है।

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शुगर की बीमारी में फायदेमंद

वर्तमान में शुगर की बीमारी हर घर में पहुंच रही है। उन्हें सादे चावल खाने का परहेज बताया जाता है। ऐसी स्थिति में काला चावल का सेवन किया जा सकता है। इसलिए भी काला चावल लोगों की पहली पसंद बनता जा रहा है। काला चावल में प्रचुर मात्रा में एंटी कैंसरस तत्व भी पाए जाते है। इस धान से निकले चावल में विटामिन बी, ई के अलावा कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा जिंक आदि प्रचूर मात्रा में मिलता है। इसके सेवन से रक्त शुद्धीकरण भी होता है। साथ ही इस चावल के सेवन से चर्बी कम करने तथा पाचन शक्ति बढऩे की बात कही जा रही है। जो कई तरह से फायदेमंद बताया जा रहा है।

इनका कहना है

मैंने पहली बार काला धान लगाई उसकी पैदावार अच्छी हुई है। एक दो साथियों ने भी कम मात्रा में लगाई थी। भाव भी अच्छे मिल रहे हैं। धान कटने से पहले ही बुकिंग हो चुकी थी। इसलिए अगली बार में दो गुना रकबे में काला धान लगाउंगा। अन्य नई फसलों को भी लगाने का मूंड है। 
- ब्रजेश मिश्रा, किसान

डोंगरवाड़ा गांव के किसान कुछ हट कर खेती करते हैं। परंपरागत खेती से हटकर भी प्रयोगात्मक खेती करना चाहिए। पहले कम मात्रा में लगाकर मुनाफा अच्छा होने पर उसकी मात्रा बढ़ाना चाहिए। इस बार काला धान लगाया गया था। जिसकी पैदावार अच्छी हुई है। 
- जेआर हेडाउ, उप संचालक कृषि

काला चावल में एंटीआक्सीडेंट भरपूर गुण होते हैं। इसमें काफी से भी ज्यादा एंटी आक्सीडेंट पाया जाता है। एंटी आक्सीडेंट से शरीर को डिटाक्स और क्लीन करने का काम करता है। आज के प्रदूषित वातावरण और मिलावटी खाद्य सामग्री से जंग लडऩे के लिए हर इंसान को जरूरत है।
डॉ. एके शर्मा, कृषि वैज्ञानिक

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