मुरैना के 4 गांव में राष्ट्रीय बीज निगम करेगा सरसों के उन्नत बीज का उत्पादन

मुरैना के 4 गांव में राष्ट्रीय बीज निगम करेगा सरसों के उन्नत बीज का उत्पादन

मुरैना, चंबल के बीहड़ों में कृषि मंत्रालय तिलहनी बीजों की खेती करवाएगा।। इसके लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय बीज निगम को मुरैना जिले के 4 गांव जखौना, रिठौरा खुर्द, गड़ौरा व गोरखा में 885.34 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराई है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत बुधवार से जखोना की 20 हेक्टेयर जमीन को समतल करने का काम शुरू करा दिया गया है।

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2020 में राष्ट्रीय बीज निगम ने तैयार की थी योजना

राष्ट्रीय बीज निगम ने जिले के बीहड़ों में बीज फार्म हाउस विकसित करने की योजना 2020 में तैयार की थी। एनएसजी ने बीज फार्म हाउस के लिए जिला प्रशासन से आठ हजार (40 हजार बीघा) हेक्टेयर जमीन मांगी थी, लेकिन प्रशासन 1105 हेक्टेयर बीहड़ की जमीन देने पर ही सहमत हुआ है। इस क्रम में जखोना, रिठौरा, गड़ौरा और गुर्जा गांव के पास 855 हेक्टेयर (4275 बीघा) बीहड़ भूमि आवंटित की गई है, पिपरई गांव में 250 (1250 बीघा) हेक्टेयर जमीन आवंटन की प्रक्रिया चल रही है, जो इस पखवाड़े पूरी हो जाएगी। दो साल बाद यहां तिलहनी बीजों की खेती का काम शुरू हो जाएगा। जानकारों के अनुसार एक साल से ज्यादा समय इन बीहड़ों को समतल करके खेत बनाने में खर्च हो जाएगा। केंद्र सरकार प्रोजेक्ट पर खर्च कर रही 100 करोड़ रुपये: बीहड़ों को समतल करके उनमें बड़े-बड़े फार्म हाउस (खेत) बनाए जाएंगे। इस जमीन में कृषि विभाग, एसएसजी और आंचलिक अनुसंधान केंद्र के कृषि विज्ञानियों, तिहलनी बीजों की खेती के विशेषज्ञों की निगरानी में सरसों, तिल, सोयाबीन, मूंगफली, अरंडी, सोआ, सनफ्लावर आदि फसलों के उन्नत किस्म में बीज तैयार किए जाएंगे, जो कम समय, कम सिंचाई में अधिक पैदावार दें। इस पूरे प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार 100 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जिसमें से 40 फीसद बजट बीहड़ों को समतल करने में खर्च होगा। बीज निगम बीजों की खेती मुरैना जिले के किसानों से ही कराएगा। खेती लायक बनाने के बाद अंचल के किसानों को जमीन लीज पर दी जाएगी।

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जैविक तिलहन बीज का उत्पादन किया जाएगा

राष्ट्रीय बीज निगम का प्रयास है कि यहां तिलहन के बीज का जैविक बीज के रूप में उत्पादन किया जाए क्योंकि जिस स्थान पर यह प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया जा रहा है, वहां की जमीन में अभी तक रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया गया है। इसलिए गोबर की खाद से लेकर वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर जैविक तिलहन बीज का उत्पादन किया जाएगा।

समतलीकरण के दौरान जमीन का मृदा परीक्षण होगा

जमीन के समतलीकरण से बीहड़ भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। समतलीकरण के दौरान जमीन का मृदा परीक्षण होगा। यदि मिट्‌टी की पीएच वैल्यू ज्यादा पाई जाती है तो उसमें जैविक खाद का उपयोग किया जाएगा ताकि भूमि की पीएच वैल्यू कम हो जाए और जमीन में बोया गया बीज, सूक्ष्म पोषक तत्वों को ग्रहण कर सके। क्योंकि पीएच कम होने पर जमीन सूक्ष्म पोषक तत्वों को आसानी से ग्रहण कर लेती है।

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20 हेक्टेयर को समतल करने का काम शुरू

पहले चरण में इस प्रोजेक्ट के लिए आवंटित जमीन में से 20 हेक्टेयर को समतल करने का काम बीज निगम के इंजीनियर चंद्रशेखर की देखरेख में बुधवार से शुरू करा दिया गया है। इस प्रकार एक साल की समयसीमा में 885.34 हेक्टेयर जमीन को समतल कर उसे खेती करने के योग्य बना लिया जाएगा। समतल जमीन पर तिलहन बीज का बंपर उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए बीज को जैविक विधि से तैयार किया जाएगा।

बीज निगम देश में 6 स्थानों पर 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बीजोत्पादन कर रहा

खाद्य तेलों के उत्पादन के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्र सरकार का कृषि मंत्रालय देश में तिलहन की खेती को बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए उन्नत किस्म का बीज तैयार कराया जा रहा है। राष्ट्रीय बीज निगम देश में 6 स्थानों पर 22 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बीजोत्पादन कर रहा है। मुरैना में भी सरसों का ऐसा बीज तैयार करेंगे जिसमें तेल की मात्रा 42 प्रतिशत तक निकलकर आए।

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वर्जन-

जखोना, रिठौरा, गड़ौरा और गुर्जा में 855 हेक्टेयर जमीन एसएसजी को आवंटित कर दी है। पिपरई गांव में 250 हेक्टेयर जमीन आवंटन जल्द कर दिया जाएगा।

नरोत्तम भार्गव, अपर कलेक्टर, मुरैना