बालाघाट में भी हो रही औषधीय फलदार सब्जी

बालाघाट में भी हो रही औषधीय फलदार सब्जी

रफी अहमद अंसारी 
बालाघाट, यूं तो सभी सब्जियां अपने स्वाद और गुणों को लेकर आज भी शोध का विषय बनी हुई हैं। इन्हें इनकी खूबियों ने ही बचाए रखा है। ऐसी ही एक फलदार सब्जी है कचरिया इसे जानने वाले अलग-अलग तरह से इसका सेवन करते हैं। यह फल जरूर एक है। लेकिन इसके फायदे अनेक है। यह भूख बढ़ाने में टॉनिक को भी मात देती है। इसके साथ ही कब्ज के लिए रामबाण है। सर्दी-जुकाम की इससे अच्छी कोई औषधि नहीं है। इसकी गरम तासीर ठंड से होने वाली कई बीमारियों को जड़ से मिटा देती है। इसकी तासीर गर्म होती है जो सर्दी जुकाम के लिए बेहद फायदेमंद होती है। अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। कोरोना काल में भी यह जंगलों में रहने वाले लोगों के लिए सहारा बनी है। कोरोना से आयुर्वेद पद्धति से लडऩे वालों के लिए कचरिया भी खास पसंद रही है।

कचरिया बढ़ाती है भूंख
पातालकोट रसोई का प्रतिनिधित्व कर रहे पवन श्रीवास्तव बताते हैं कि पारंपरिक व्यंजनों की उनकी रसोई में कद्दू की खीर, मक्के रोटी के साथ महुए की पूड़ी, भेदरा टमाटर की चटनी के साथ बरबरटी की दाल के बड़े भी खास हैं। उससे भी ज्यादा खास है औषधीय गुणों से भरपूर कचरिया, यह कच्ची होती है तो इसमें कड़वाहट होती है, लेकिन सुखाकर खाने से इसमें मौजूद पोषक तत्व इसमें सौंधापन लाते हैं। बीमारी में अगर मुंह का स्वाद बिगड़ जाए तो टेस्ट बदलने के साथ ही भूख भी बढ़ाती है। कचरिया इन दिनों आदि रंग उत्सव के बाजार में पातालकोट की रसोई के व्यंजनों में शामिल यह सब्जी पारंपरिक व्यंजनों के बीच खास है।