यहां टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान, एक रुपए किलो मिल रहा भाव 

यहां टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान, एक रुपए किलो मिल रहा भाव 

छिंदवाड़ा। आमतौर पर टमाटर के दाम लाल ही रहते हैं, लेकिन जब सीजन में इसकी आवक ज्यादा हो जाती है तो किसानों को इसके अच्छे दाम नहीं मिलते हैं और उन्हें कौड़ियों दे दाम बेचने को मजबूर होना पड़ता है। ऐसे ही छिंदवाड़ा जिले में  किसानों को टमाटर के दाम एक रुपये किलो मिल रहे हैं। टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान।

इससे अब किसानों का सब्जी की खेती से मोहभंग हो रहा है। जिसकी वजह सब्जी के दामों में हो रहे उतार, चढ़ाव को बताया जा रहा है। सब्जी के दाम जब ज्यादा होते हैं तो इसका फायदा बिचौलिये और बड़े व्यापारी उठा लेते हैं, लेकिन जब सब्जी के दाम गिरते हैं तो किसानों की मुश्किल बढ़ जाती है, वर्तमान में फिर वहीं स्थिति बन रही है। इतनी मेहनत करने के बावजूद भी मुनाफा तो छोड़िए किसान की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। इसे लेकर किसानों ने सब्जी का समर्थन मूल्य देने की मांग की है। टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान।

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 खून के आंसू रोने को मजबूर हो गया किसान
 गुरैया के किसान रामदास अहिरवार ने बताया कि टमाटर की खेती करने वाले किसानों की इतनी खराब स्थिति है कि वर्तमान में टमाटर का मूल्य एक रुपए प्रति किलो तक पहुंचने के कारण किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हो गया है। खेतों से टमाटर तोड़कर खेत में ही फेंक रहे हैं, नहीं तो जानवरों को खेत में छोड़ दिया जाता है। टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान।

किसान उमेश साहू ने बताया कि सब्जियों को लगाने वाले किसान अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। जिस प्रकार गेहूं, चना, चावल अन्य चीजों का समर्थन मूल्य तय किया जाता है उसी प्रकार सब्जियों का भी एक निश्चित समर्थन मूल्य तय कर दिया जाए। जिससे किसान को नुकसान न उठाना पड़े। टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान।

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लागत भी नहीं निकल पा रही 

सब्जियों की खेती करने वाले किसान गोविंद मुनि ने बताया कि किसान कर्जा लेकर जैसे तैसे खून पसीना बहाकर खेतों में सब्जियां लगाते हैं, ऐसे में सब्जियों के दाम नहीं मिलते तब उसकी मेहनत का पैसा तो छोड़िए लागत भी नहीं निकल पाती है। जिसके कारण किसान कर्जा चुकाने में समर्थ नहीं हो पाता। मजबूरन वह आत्महत्या करने की ओर बढ़ने लगता है। टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान।


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इस साल सब्जियों की फसल के दामों में आई गिरावट के कारण किसान खेतों में ही खराब होने के लिए टमाटर को छोड़ दे रहे हैं। कुछ अन्य सब्जियों के दाम भी लागत से कम मिल पा रहे हैं। किसान का कहना है कि वह पहले ही लागत और मेहनतन कर बर्बाद हो चुके हैं। ऐसे में अब तुड़वाई का पैसा देकर और क्यों और बर्बाद हों। टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान।

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खेतों में फैंकने को मजबूर हैं किसान 
लाकडाउन के दौरान भी किसानों को इस प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ा था, लाकडाउन के दौरान किसानों को टमाटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी खेतों में ही फेंकनी पड़ी थी, जिसके कारण किसानों ने आंदोलन किया था, जिसके बाद तत्कालीन एसडीएम राजेश शाही ने किसानों से बात की थी, उस वक्त भी किसानों ने सब्जी के समर्थन मूल्य देने की बात कही थी। टमाटर खेतों में फेंकने को मजबूर हुए किसान।

एसडीएम अतुल सिंह के मुताबिक सब्जी के समर्थन मूल्य का कोई प्रविधान नहीं है, लेकिन किसानों की भावनाओं से प्रशासन को अवगत कराया जाएगा।

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