महिलाओं को 'गोबर' में दिखा भविष्य, पेंट बनाकर कर रहीं बंपर कमाई, CM ने की भी सराहना 

महिलाओं को 'गोबर' में दिखा भविष्य, पेंट बनाकर कर रहीं बंपर कमाई, CM ने की भी सराहना 

आदिवासी महिलाएं गोबर से पेंट बनाकर बन रहीं आत्मनिर्भर 

देश में आज महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। कोई सा भी क्षेत्र हो महिलाएं किसी से भी पीछे नहीं हैं। एक ऐसा ही वाकया है छत्तीसगढ़ का, जहां महिलाओं ने 'गोबर' को अपना आजीविका का साधन बनाया और अब इससे लाखों रूपये कमा रही हैं। इतना ही नहीं वहां के मुख्यमंत्री भी इन महिलाओं की सराहना कर चुके हैं।

भारत की छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा आदिवासी महिलाओं की उन्नति एवं प्रगति के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में राज्य सरकार की मदद से आदिवासी महिलाओं का संगठन गोबर द्वारा पेंट निर्मित किया जा रहा है। इसको बेहद सराहना प्राप्त हो रही है।

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केंद्र व राज्य सरकार पूर्णतया कृषक, महिलाओं के विकास हेतु निरंतर कार्य कर रहे हैं। भारत में ऐसे बहुत से राज्य हैं, जहां काफी संख्या में आदिवासी महिलाएं रहती हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारें उनको भी मुख्यधारा में लाने के लिए कार्यरत हैं। छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बाहुल्य प्रदेश माना जाता है। यहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि कार्यों पर ज्यादा आश्रित होती है।  फिलहाल छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी महिलाएं अच्छी-खासी खेती कर रही हैं।

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छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओं का समूह बना रहा प्राकृतिक पेंट
छत्तीसगढ़ सरकार की मदद एवं प्रोत्साहन के माध्यम से आदिवासी महिलाएं विकास की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। प्रदेश की आदिवासी महिलाएं गोबर का प्रयोग कर प्राकृतिक पेंट निर्मित कर रही हैं। बता दें कि कांकेर जनपद में वनांचल के अंतर्गत गांव सराधु नवागांव के गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। यह पेंट बनने का कार्य तीव्रता से हो रहा है, साथ ही बाजार में भी इसकी खपत में बढ़ोत्तरी हुई है।


आदिवासी महिलाओं के समूह ने कितने लीटर पेंट बना लिया है
छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी महिलाओं के संगठन द्वारा गोबर का उपयोग कर प्राकृतिक पेंट बनाकर बेचा जा रहा है। न्यूनतम समयांतराल में महिलाओं द्वारा 5000 लीटर मात्रा से भी ज्यादा पेंट निर्मित किया जा चुका है। महिलाओं ने उस पेंट को बेचकर आमदनी भी करली है। राज्य की महिलाओं के गोबर से बने पेंट की विधि को जानने के लिए समीपवर्ती जनपदों से लोगों का ताँता लगा रहता है।

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इस प्राकृतिक पेंट का कितना मूल्य है
आदिवासी महिलाओं के इस प्राकृतिक पेंट का मूल्य बाजार में उपलब्ध प्रीमियम क्वालिटी के पेंट के तुलनात्मक 40 फीसद तक कम है। क्योंकि बाजार में बिकने वाले पेंट काफी महंगे मिलते हैं। आदिवासी महिलाओं के प्राकृतिक पेंट की विशेषताओं की बात की जाए तो यह नॉन टॉक्सिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल, इको -फ्रेंडली (Eco-friendly) भी होता है। इन समस्त विशेषताओं की वजह से प्राकृतिक पेंट की खरीद काफी बढ़ गयी है।

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केमिकल पेंट और प्राकृतिक पेंट में है अंतर
अगर गोबर से बने पेंट और बाजार में बिकने वाले केमिकल युक्त पेंट में अंतर की बात करें तो बाजार मिलने वाले ब्रान्डेड पेंट में कैमिकल और अप्राकृतिक पदार्थ होते जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं गोबर से निर्मित पेंट प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनता है। इसलिए इसे प्राकृतिक पेंट भी कहते हैं। केमिकल युक्त पेंट की कीमत 350 रुपए प्रति लीटर से शुरू होती है, पर गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट की कीमत 150 रुपए तक है. गोबर से बने होने के कारण यह पेंट एंटीबैक्टीरियल है।