दमोह के गांवों में बोरिंग से पानी की जगह आग निकल रही

दमोह के गांवों में बोरिंग से पानी की जगह आग निकल रही

बंटी शर्मा 
दमोह, बुंदेलखंड में धरती की नीचे कई अमूल्य रत्न छिपे हैं जो आए दिन बाहर भी निकलते रहते हैं, लेकिन अब इस संपदा के साथ साथ पेट्रोलियम पदार्थ और गैस के अपार भंडार होने की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। दरअसल, दमोह जिले पर पूरी दुनिया की नजर है। इसकी वजह यह है कि यहां 24 गांवों में मीथेन गैस का भंडार मिला है। बोरिंग से पानी की जगह आग निकल रही है। यहां लंबे समय से ओएनजीसी की टीम जांच कर रही है। 1120 करोड़ रुपए खर्च कर 28 कुएं खोदे जा चुके हैं। सेमरा रामनगर गांव में एक कुएं में डेढ़ किमी गहराई पर ज्वलनशील गैस निकली। ओएनजीसी की टीम को क्षेत्र के लोगों ने अपने बोरिंग दिखाए, जिनमें से गैस निकल रही है और आग पकड़ रही है। इसके बाद जांच की गति और तेज की गई। कमता गांव में 12 किसानों के खेतों में बोरिंग में गैस निकल रही है। 

देहरादून से आई थी टीम

हटा अनुविभाग के गैसाबाद थाना क्षेत्र के कमता गांव में पिछले दो सालों में होने वाली नलकूपों की खुदाई में गैस भी निकल रही है। इसी के चलते ओएनजीसी देहरादून की टीम को जब इस बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने यहां कई स्थानों पर खुदाई कराई गई जिसमें मीथेन गैस निकली है। हटा विकासखंड मुख्यालय से 27 किमी दूर स्थित ग्राम पंचायत मुहरई में शामिल छोटे से गांव कमता में हुए नलकूप खनन में गंध मिश्रित होने के साथ पानी का स्वाद अच्छा नहीं लग रहा है। 

28 कुएं खोदे, 1120 करोड़ रुपए खर्च

पानी में लग गई थी आग

मुन्ना पटैल ने बताया कि दो वर्ष पहले उन्होंने अपने खेत में तीन सौ फीट गहराई पर बोर कराया था। जब उसमें मशीन डाली तो पानी में गंध होने की वजह से एक बार माचिस की तीली जलाकर पानी में लगाई तो पानी में कुछ समय के लिए आग लग गई। इसी गांव के अरविंद पटेल ने दो माह पहले अपने खेत में तीन सौ फीट बोर कराया तो उसमें अलग से गैस जैसी गंध आ रही थी तब उसमें मशीन के साथ एक पाइप अलग से लगा दिया गया ताकि गैस अलग से निकलती रहे। बोर में अलग से लगाए गए इस एक पाइप के पास आग दिखाने से लपटें निकलने लगती हैं। 

सौ एकड़ में एक दर्जन बोर

अरविंद पटेल ने बताया कि उसने अपने खेत में तीन सौ फीट बोर कराया और 190 फीट पर मशीन डाली, लेकिन जैसे- जैसे जल स्तर गिरता जा रहा है वैसे ही गैस का रिसाव बढ़ता जा रहा है। हमारे क्षेत्र में लगभग सौ एकड से अधिक क्षेत्रफल में एक दर्जन से अधिक बोर हुए हैं। जिन बोर में 250 फीट तक पानी नहीं निकलता उसके बाद गंध और अमलीय पानी निकल रहा है जिसमें आग लगाने पर लपटे निकलती हैं। हालांकि अभी तक किसी जगह इसकी शिकायत नहीं की है।

सता रहा आग लगने का डर

गांव के ही रामसिंह ने बताया कि उनके खेत के भी बोर में गंध निकली और अचानक बोर के पास बने टपरे में आग लग गई। इसके बाद उसने बोर ही चालू नहीं किया जिससे खेतों की सिंचाई नहीं हो पा रही हैं। देवराज सिंह ने बताया कि उनके बोर में भी पानी के साथ गैस निकलती है, लेकिन मशीन चालू करने में हमेशा डर बना रहता है कि कहीं आग ना लग जाए। 

पानी पीने में भी दिक्कत

गफलू दाहिया ने बताया कि गंध युक्त पानी पीने में भी दिक्कत जा रही है। पूरे गांव में दो बोर ही हैं जिनका पानी पीने में अच्छा लगता है बाकी पानी की बहुत दिक्कत है। कमता गांव से लेकर सुजान तलैया तक के अधिकांश बोरों में गैस निकलने की बात सामने आ रही है। लाखों रुपए खर्च कर बोर कराने वाले किसान खेती में पानी के लिए परेशान ही हैं। 

इनका कहना है
अब पुख्ता रूप से गैस मिली है। इसके उपयोग को लेकर कार्ययोजना बनाई जा रही है। काईखेड़ा और पथरिया के बोतराई में भी गैस मिली है। हटा ब्लाक में मीथैन गैस मिली है इसके अलावा कुछ अन्य गैसे भी निकली हैं, लेकिन उनका इतना महत्व नहीं है। यह हटा के लिए अच्छी बात है आने वाले समय में यहां और कुछ नए कार्य किए जाएंगे।
डॉ. एनपी सिंह, रिटायर्ट वैज्ञानिक, ओएनजीसी