मध्यप्रदेश के किसान अब हो रहे आत्मनिर्भर

-केन्द्रीय मुद्रा ऋण योजना अंतर्गत किसानों को त्रिपक्षीय अनुबंध
भोपाल। एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड (एमपीसीडीएफ) भोपाल ने सितंबर 2022 में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि एवं आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत बनाने के उद्देश्य से सांची और एसबीआई के समन्वय से मुद्रा ऋण देन का एमओयू निष्पादित होने से दुग्ध व्यवसाय में अपने मजबूत कदम बढ़ाने वाले पशुपालकों में प्रसन्नता दिखाई देने लगी है। उल्लेखनीय है कि एमपीसीडीएफ भोपाल के अंतर्गत संचालित सभी 6 सहकारी दुग्ध संघ द्वारा सांची और एसबीआई के समन्वय प्रयास से संबंधित संघ अंतर्गत समिति सदस्यों को बैंक शाखाओं द्वारा राशि निरंतर विमुक्त करवाई जा रही है।
राशि एसबीआई ने वितरित की
वर्तमान में मुद्रा ऋण के मामले देखें तो एमपीसीडीएफ से संबद्ध प्रदेश के 6 सहकारी दुग्ध संघों के माध्यम से 10941 समिति सदस्यों ने 31188 दुधारू पशु क्रय करने के आवेदन प्रस्तुत किए हैं, जिसमें 4306 आवेदन स्वीकृत हुए हैं और इनमें से 370 प्रकरणों में 128 पशु क्रय करने के लिए 608 लाख की राशि एसबीआई ने वितरित की है। मुद्रा ऋण लेने वाले किसानों के समूहों द्वारा अन्य राज्यों यथा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश इत्यादि से दुधारू पशुओं को क्रय जा रहे है।
मुद्रा ऋण के मुख्य बिंदु
- भारत सरकार की महत्वाकांक्षी मुद्रा ऋण योजना अंतर्गत किसानों को उपलब्ध कराई गई सुविधा।
-सांची और एसबीआई के समन्वय से मुद्रा ऋण से लाभांवित करने किसानों के द्वार पहुंच रही एसबीआई।
- मुद्रा ऋण लेने वाले किसान दुग्ध उत्पादन व्यवसाय में आत्मनिर्भर बनने दिखाई दे रहे अग्रणी।
-एसबीआई किसानों का दस्तावेजीकरण कर प्रक्रिया को सुगम बनाने कर रहे अनूठा प्रयोग।
-ग्रामीण दुग्ध उत्पादक किसानों में मुद्रा ऋण योजना के प्रति दिखाई दे रही खुशियां।
-मुद्रा ऋण लेने वाले किसानों को राज्य के बाहर से पसंदीदा दुधारू क्रय करने की स्तंत्रता।
-किसानों के समूहों द्वारा मुद्रा ऋण लेकर राज्य के बाहर यथा पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश इत्यादि से दुधारू पशुओं को कर रहे क्रय।
- मुद्रा ऋण योजना अंतर्गत दुधारू पशुओं को क्रय करने के पहले और बाद में किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित।
-प्रशिक्षित किसानों को क्रय किए गए दुधारू पशुओं को पोषण करने में होगी आसानी और अत्याधिक दुग्ध उत्पादन करने सांची के पौष्टिक पशुआहार से कराया जा रहा अवगत।
-एमपीसीडीएफ से संबद्ध सभी सहकारी दुग्ध संघों की है 7000 दुग्ध सहकारी समितियां, समितियों में हैं, 246000 दुग्ध उत्पादक है सदस्य, प्रतिदिन 09 लाख लीटर दूध किया जाता है संकलित।
-केन्द्र और राज्य सरकार के प्रयास से किसानों को मुद्रा ऋण से आत्मनिर्भर भारत-आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की परिकल्पना को किसान दुग्ध उत्पादन व्यवसाय में होते जा रहे आत्मनिर्भर।
इनका कहना है
भारत सरकार की मुद्रा ऋण योजना अंतर्गत एमपीसीडीएफ भोपाल के दिशा-निर्देशन में एसबीआई के माध्यम से दुग्ध समिति स्तर पर दुग्ध उत्पादकों को पशु उत्प्रेरण के लिए ऋण वितरण एक सराहनीय पहल है।
-रवीन्द्र पाटिल, डीजीएम, एलएचओ, एसबीआई भोपाल
सांची और एसबीआई के समन्वय से समिति सदस्यों को मुद्रा ऋण देकर योजना अंतर्गत राज्य के बाहर से किसान अपने मन पसंद के पशु क्रय करके आना प्रारंभ हो गए हैं, भविष्य में इसके सुखद परिणाम प्राप्त होंगे।
-गोविंद अहिरवार, एजीएम, एलएचओ, एसबीआई भोपाल
एमपीसीडीएफ भोपाल के अंतर्गत संचालित सहकारी दुग्ध संघों एवं एसबीआई के मध्य निष्पादित एमआयू के अंतर्गत किसानों को दुधारू पशु उपलब्ध कराए जाने की पहल के निश्चित रूप से सुखद परिणाम प्राप्त होंगे।
-आरके दूर्वार, महाप्रबंधक, एमपीसीडीएफ, भोपाल
सांची और एसबीआई के समन्वय से केंद्र और राज्य सरकार की मंशानुसार मुद्रा ऋण हमारे घर पर एसबीआई बैंक आकर दे रही है, दुग्ध उत्पादन व्यवसाय में किसान आत्मनिर्भर बन रहे है।
-यशपाल रामसिंह, समिति सदस्य, दुग्ध शीत केंद्र मंदसौर, जिला उज्जैन
मुद्रा ऋण मिलने से अपने मनपसंद के पशुओं को राज्य के बाहर से क्रय करने की स्वतंत्रता है। दुग्ध उत्पादन में किसानों का कार्य मजबूत कदम है। किसानों की आय में वृद्धि के लिए दुग्ध उत्पादन व्यवसाय एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
-भूपेन्द्र सिंह, समिति सदस्य, दुग्ध शीत केन्द्र रतलाम, जिला उज्जैन