धरती  की प्रथम कृषक महिला: डॉ. किंजल्क सी. सिंह

धरती  की प्रथम कृषक महिला: डॉ. किंजल्क सी. सिंह

रीवा, प्रागैतिहासिक काल से धरती की जगत जननी तथा प्रथम कृषक स्त्री को ही माना गया है। स्त्री के स्वभाव में ही पोसना है अतः यह देखा गया है कि जिस खेत में स्त्री कृषि कार्य में हाथ बँटाती है उस खेत में उत्तरोत्तर कृषि प्रगति के पथ पर नये आयाम तय करती है। उक्त उद्गार डॉ. किंजल्क सी. सिंह, वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) के हैं जो कि शासकीय उत्कृष्ट अनुसूचित जाति जनजाति कन्या छात्रावास में कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा (म.प्र.) द्वारा आयोजित 'महिला किसान दिवस' में 40 प्रतिभागियों को, मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित कर रही थीं।

ग्रामीण अंचल की छात्राओं के माध्यम से माताओं बहनों को परिवार की धुरी ठहराते हुये उनके स्वस्थ्य रहने को अत्यावश्यक बताया जिसके लिये पौष्टिक भोजन का सेवन महत्वपूर्ण कुंजी है।

इससे पूर्व माँ सरस्वती के पूजन के साथ स्वागत उद्बोधन में शाला के प्राचार्य डॉ. प्रभाकर तिवारी ने प्रगति हेतु ज्ञान का सृजन,अर्जन और प्रदान करने पर ज़ोर दिया। शाला की शिक्षिका तथा छात्रावास की अधीक्षिका श्रीमती रीता त्रिपाठी ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिये सबका आभार माना। श्रीमती प्रमिला शुक्ला, शिक्षिका की कार्यक्रम में उपस्थिति उल्लेखनीय रही। 

उक्त कार्यक्रम, संचालक विस्तार सेवायें, डॉ. दिनकर शर्मा के निर्देशन में तथा कृषि विज्ञान केंद्र, रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. अजय कुमार पाँडेय तथा कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस. के.प्यासी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया  जिसमें डॉ. अखिलेश पटेल, वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान); डॉ. राजेश सिंह , वैज्ञानिक (उद्यानिकी); डॉ. बृजेश कुमार तिवारी, वैज्ञानिक (शस्य विज्ञान);  डॉ. अखिलेश कुमार, वैज्ञानिक (पौध संरक्षण); डॉ. स्मिता सिंह, वैज्ञानिक (शस्य विज्ञान); डॉ संजय सिंह, वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) ; डॉ. केवल सिंह बघेल, वैज्ञानिक (पौध रोग);  मृत्युंजय मिश्रा, वैज्ञानिक (कम्प्यूटर);  सन्दीप शर्मा, मौसम वैज्ञानिक; कार्यालय सहयोगी बृजेश सेन, शत्रुघ्न वर्मा, ऋषभ विश्वकर्मा  सहयोग उल्लेखनीय रहा।