सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति सुधारने होगा परिसीमन

सहकारिता विभाग ने जिलों को पत्र लिखकर कार्रवाई करने के दिए निर्देश
भोपाल। मध्य प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करने के लिए प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का परिसीमन किया जाएगा। इसमें समितियों के क्षेत्र नए सिरे से निर्धारित होंगे। जिस गांव के पास जो समिति होगी, उससे ही किसानों को जोड़ा जाएगा। सरकार की इस कवायद को करने के पीछे मंशा समितियों की आर्थिक सेहत सुधारने की है। दरअसल, कई समितियों की स्थिति अच्छी नहीं है। इसे देखते हुए आर्थिक रूप से कमजोर समितियों को अन्य समितियों से संबद्ध किया जाएगा।
4548 समितियों से 50 लाख से अधिक किसान जुड़े हैं
प्रदेश में 4548 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति हैं। इनसे 50 लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। समितियां किसानों को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराने के साथ खाद-बीज का वितरण, गेहूं व धान का उपार्जन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण का काम करती हैं। अब इन्हें सशक्त बनाने के लिए अन्य कार्यों से भी जोड़ा जा रहा है। सहकारी नीति में इसके लिए प्रविधान किए जा रहे हैं।
संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि समिति के परिसीमन के लिए जो मापदंड तय किए हैं, उसमें समिति के कार्यक्षेत्र में कम से कम पांच हजार हेक्टेयर भूमि, तीन करोड़ रुपये का वार्षिक व्यवसाय और कम से कम एक हजार सदस्य होने चाहिए। इस आधार पर प्रस्ताव बनेंगे और समितियों के क्षेत्र निर्धारित होंगे। ऐसी समितियां, जिनका वार्षिक व्यवसाय तीन करोड़ रुपये से कम है, उन्हें नए सदस्यों को जोडऩे के साथ अन्य गतिविधियां संचालित करने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही समितियों की आय बढ़ाने के लिए उचित मूल्य की राशन दुकानों को बहुद्देश्यीय दुकानों में परिवर्तित करने, गोदाम बनाने, प्रसंस्करण केंद्र संचालित करने सहित अन्य कार्यों से जोडा जा रहा है। इसके लिए कुछ समितियों के विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन भी तैयार करवाए गए हैं। इन्हें कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से बैंकों से ऋण दिलाया जाएगा।