देश में दालों का बफर स्टॉक हुआ 43 लाख टन
सरकार के पास जरूरत से ज्यादा खाद्य भंडारण
नई दिल्ली, धान- गेहूं के बाद अब देश में सभी तरह की दालों का भी बफर स्टॉक हो गया है। उपभोक्ता मामले के सचिव रोहित कुमार के मुताबिक, देश में 43 लाख टन सभी तरह की दालों का बफर स्टॉक है। फिलहाल, दालों का यह स्टॉक पूरे देश के लिए पर्याप्त है। ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे भी हर साल त्योहारी सीजन में खाने- पीने की चीजों की कीमतें थोड़ी बढ़ जाती हैं। क्योंकि डिमांड और सप्लाई का गैप इन दिनों में बढ़ जाता है। लेकिन फिर भी सरकार के पास जरूरत से ज्यादा खाद्य भंडारण है।
बाजार कीमत से 8 रुपये कम में राज्यों को चने देने का फैसला
रोहित कुमार ने कहा कि सरकार के पास इस साल (2022-23) के लिए 251056 mt प्याज का भंडार है। जबकि, सभी दालों का बफर स्टॉक 43 लाख टन है। उन्होंने कहा कि देश के अलग- अलग राज्यों में अलग- अलग दालों की मांग ज्यादा होती है। इसलिए पर्याप्त मात्रा के बावजूद इम्पोर्ट भी कराया जा रहा है। वहीं, मिड डे मील या अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने बाजार कीमत से 8 रुपये कम में राज्यों को चने देने का फैसला लिया है। लगभग 88 हजार टन चना इस योजना के तहत राज्यों को दिया गया है।
सरकारी गोदामों में 227 लाख टन गेहूं उपलब्ध
वहीं, बीते दिनों केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा था कि बाजार में महंगाई बेकाबू नहीं है। सरकार के पास गेहूं प्रयाप्त मात्रा में है। सरकार पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए बाजार में अतिरिक्त अनाज उतारेगी। सुधांशु पांडेय ने एफसीआई के पास उपलब्ध स्टॉक की डिटेल्स देते हुए कहा कि सरकार के पास सरकारी गोदामों में 205 लाख टन के आवश्यक बफर स्केल के मुकाबले 227 लाख टन गेहूं उपलब्ध है।
अच्छी बारिश के बाद गेहूं का उत्पादन और खरीद सामान्य हो जाएगी
तब उन्होंने कहा था कि केंद्र को अनुमान है कि 1 अप्रैल, 2023 को 75 लाख टन गेहूं के आवश्यक बफर स्टॉक स्केल के मुकाबले, लगभग 113 लाख टन स्टॉक हो जाएगा। पांडेय ने कहा था कि एफसीआई के पास उपलब्ध बफर स्टॉक का जो स्तर है वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्यान्न की परिचालन आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा था कि अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हो जाएगी। ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि अच्छी बारिश के बाद गेहूं का उत्पादन और खरीद सामान्य हो जाएगी। वैश्विक बाजार में गेहूं की कम आपूर्ति के मद्देनजर सरकार को निर्यात पर रोक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।