मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में हो रही काला गेहूं की खेती

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में हो रही काला गेहूं की खेती

वर्तमान में बाजार में काले गेहूं का भाव चार से छह हजार रु. प्रति क्विंटल 

श्योपुर, मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में पिछले कुछ सालों में कैंसर के मरीज बढ़े हैं। ऐसे में किसानों ने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर कैंसर में दवा की तरह काम करने वाले काले गेहूं की खेती शुरू की है। गुरुनावदा, आवदा और इंद्रपुरा गांव के किसानों ने पहली बार करीब 15 बीघा में काले गेहूं की बोवनी की है। फसल खेतों में लहलहा रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि काले गेहूं में एंथ्रोसाइनिन (प्लांट पिगमेंट) प्रचुर मात्रा में होता है। 

यह एक प्राकृतिक एंटी आक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो कैंसर, हार्टअटैक, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि काला गेहूं आम गेहूं के मुकाबले ज्यादा पैदावार देता है और दो से ढाई गुना महंगा बिकता है। वर्तमान में बाजार में इसका भाव चार से छह हजार रुपए प्रति क्विंटल है।

जले में बढ़े कैंसर मरीज

मिलावटी खाद्य सामग्री और तंबाकू के सेवन के कारण श्योपुर जिले में कैंसर के मरीजों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। कारण के मूल में जाने पर कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इस रोग में दवा की तरह काम करने वाले काले गेहूं के उत्पादन की सलाह दी।

पंजाब से लाए बीज

गुरुनावदा गांव में कृषि स्नातक किसान भरतसिंह जाट ने तीन बीघा, आवदा में किसान जयदीपसिंह तोमर ने छह बीघा, इंद्रपुरा में दिनेश नागर ने तीन बीघा, सोईंकला में सोनू गर्ग ने डेढ़ बीघा, प्रेमपुरा में किसान गुरुदीपसिंह ने डेढ़ बीघा और चोंडपुर में रामभरत बैरागी ने डेढ़ बीघा में पंजाब से बीज लाकर काले गेहूं की फसल बोई। यह अब खेतों में लहलहा रही है।

इनका कहना है

काले गेहूं का सेवन हर मौसम में किया जा सकता है, क्योंकि इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होता हैं। इसके अलावा फाइबर, प्रोटीन, मैग्नीशियम जैसे जरूरी पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो कई बीमारियों से लडऩे में सक्षम हैं। इसमें आयरन अधिक मात्रा में होता है। इस वजह से कैंसर, रक्तचाप, मोटापा और मधुमेह के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। इससे खून की कमी दूर होती है। साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
डॉ. बीएल यादव, सीएमएचओ, श्योपुर

काला गेहूं सामान्य दिखने वाले गेहूं की ही तरह होता है। इसमें बालियां अधिक होती हैं। एक बीघा में 10 से 12 क्विंटल तक काला गेहूं पैदा हो सकता है। इसका बीज सामान्य गेहूं की तुलना में तीन गुना महंगा होता है। लेकिन अधिक फुटान होने से एक बीघा में महज 20 किलोग्राम बीज की ही जरूरत पड़ती है। जबकि सामान्य गेहूं में 40 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
डॉ. नीरज हाडा, विज्ञानी, बड़ौदा कृषि विज्ञान केंद्र