ब्लैक व रेड राइस बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

ब्लैक व रेड राइस बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता

rafi ahmad ansari
बालाघाट। धान उत्पादक जिले के नाम से सम्पूर्ण भारत मे विख्यात है। इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। बालाघाट जिला अब ब्लैक एवं रेड राईस के उत्पादन में भी अपनी अलग पहचान बना रहा है। बालाघाट जिला अब चिन्नौर के साथ ब्लैक एवं रेड राईस के लिए भी पहचाना जायेगा। परसवाड़ा विकासखंड मुख्यालय से लगभग 7 किमी दूर पर ग्राम कनई स्थित है। इसी ग्राम के युवा ताराचंद बेलजी ने नानाजी देशमुख चित्रकुट विश्वविद्यालय से प्रेरणा लेकर अपने खेत में ब्लैक और रेड राइस का उत्पादन प्रारंभ किया है। ताराचंद बेलजी द्वारा अपने स्वयं के 20 एकड़ खेत में ब्लैक एवं रेड दोनों प्रजाति की धान लगाकर बीज व चावल का उत्पादन किया जा रहा है।

दूसरे राज्यों में भी भेज रहे हैं ब्लैक एवं रेड राईस का बीज

इस सबन्ध में ताराचंद बेलजी ने बताया कि ब्लैक राइस शुगर (मधुमेह) की बीमारी में बहुत फायदेमंद है। जबकि रेड राइस में विटामिन बी-12 बहुतायत मात्रा में पाया जाता है जो कैंसर जैसी घातक बीमारी के उपचार में कारगर है। हल्की प्रजाति की यह धान बालाघाट जिले के वातावरण के अनुकूल है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष बालाघाट जिले के किसानों ने ब्लैक एवं रेड राईस का बीज ले गये है ।

महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उडीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यो मे भी रेड व ब्लैक राइस धान बीज की मांग बढ़ी है। इन राज्यों के कुछ किसानों को उनके द्वारा डाक के माध्यम से धान का बीज भिजवाया गया है। श्री बेलजी ने बताया कि अन्य धान की तरह ही रेड व ब्लैक धान को भी प्राथमिक सहकारी सोसायटी में समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था हो जाये तो इसकी खेती को भी बढ़ावा मिलेगा और किसानों को अधिक आय होगी।