शाजापुर में चौपट हुआ संतरे का  500 करोड़ का व्यापार

शाजापुर में चौपट हुआ संतरे का  500 करोड़ का व्यापार

पैदावार में 90 फीसदी की कमी 

अमजद खान 
शाजापुर, दिल्ली, मुंबई, जयपुर, चडीगढ़ से लेकर बाग्लांदेश और दुबई में पसंद किए जाने वाले मप्र के शाजापुर के संतरे इस बार इंपोर्ट-एक्सपोर्ट नहीं हो पाएंगे। इस बार यहां संतरे की पैदावार पूरी तरह चौपट हो गई है। पौधों पर फल न लगने से संतरे की पैदावार 90 फीसदी से ज्यादा प्रभावित हो गई है। इसका कारण शुरुआत में पर्याप्त पानी न गिरने और मिस्सी की बीमारी बताया जा रहा है। अपनी खास क्वालिटी और बंपर पैदावार के चलते शाजापुर जिले के संतरे विदेशों में भी भेजे जाते हैं। इनका यहां हर साल 500 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। यहां के हजारों किसानों की आजीविका का अहम साधन भी ये संतरे ही हैं, लेकिन, एक बार फिर मौसम के बदले मिजाज ने किसानों की कमर तोड़ दी।

किसानों को टूटी कमर : संतरे की फसल के लिए मौसम की अनुकूलता अहम रोल अदा करती है। लेकिन, इस बार तय समय पर पर्याप्त बारिश न होने से इन पौधों पर फलन ही नहीं हो पाया। कुछ बागीचों में काली मिस्सी की बीमारी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। किसानों की मानें तो तय वक्त पर बारिश और उसके बाद 'तानÓ यानी पानी की गेप होना फल को विकसित करने में मददगार होता है। लेकिन इस बार तय वक्त पर पर्याप्त पानी न मिलने से पौधों पर संतरे ही नहीं उग पाए।

90 फीसदी से ज्यादा की फसल खराब: शाजापुर जिले में 12 हजार 600 हेक्टेयर में संतरे की खेती होती है। कृषि और उद्यानिकी विभाग से जुड़े वैज्ञानिक भी मानते हैं कि यहां का अनुकूल मौसम संतरे कि बंपर पैदावार देता है। लेकिन, इस बार बारीश के तय समय पर न होने से संतरे कि पैदावार प्रभावित हुई है और नुकसान 90 फिसदी तक हुआ है। ये नुकसान करोड़ों का है।

इनका कहना 
अब बगीचों में लगे यह पौधे हरीयाली तो दे रहे हैं लेकिन इन पर संतरे पूरी तरह गायब हैं। इक्क-दुक्का बगीचों को छोड़ दिया जाए तो पूरे क्षेत्र में यही हालात हैं। इससे पहले से तंगहाली का जीवन जी रहे किसान और मायूस हो गए हैं।
एसएस धाकड़, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक