50 हजार महीने की नौकरी छोड़ खेती को अपनाया

50 हजार महीने की नौकरी छोड़ खेती को अपनाया

संभावनाएं जिले के चिचली के किसान ने खेती में देखी

संजय शर्मा
खरगोन। मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति से बड़े से बड़ा और असंभव कार्य को भी संभव कर सकते हैं। ऐसी ही संभावनाएं जिले के चिचली के किसान ने खेती में देखी। झारखंड में 50 हजार प्रतिमाह पाने वाले संजय शर्मा ने नौकरी छोड़ खेती की ओर रुख किया। उन्हें साहस और खेती में जैविकता को बढ़ावा देने के लिए शासन ने पुरस्कार से नवाजा गया है। शर्मा बताते हैं कि खेती में रासायनिक खादों के भरपूर उपयोग से लाभ भी हुआ, लेकिन अब फसलों में कई तरह नई-नई बीमारियां और कीटों का प्रकोप बढऩे लगा। 

इन्हें कंट्रोल करने के लिए मुनाफे से अधिक खेती की लागत बढऩे लगी। आत्मा परियोजना के अधिकारियों द्वारा जैविक खेती के बारे में दो वर्ष पूर्व बताया गया। तभी से ढाई एकड़ में जैविक के प्रयोग किए। पहले गन्ना फिर कपास व गेहूं के साथ जैविक उत्पादन किया और रासायनिक व जैविक में अंतर करने पर पाया कि जैविक खेती करने से लागत कम हो जाती है और मुनाफा की बेहतर होने लगता है। 

फसलों में गोबर खाद का उपयोग होने से भूमि की गुणवत्ता में भी निरंतर सुधार देखा गया। इसलिए जैविक खेती ही सर्वोत्तम खेती है। अब पूरी 36 बीघा खेती में जैविक खेती का लक्ष्य रखा है। सब मिशन आन एग्रिकल्चरल एक्सटेंशन आत्मा द्वारा प्रतिवर्ष कृषि के क्षेत्र में सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

वर्ष 2019-20 के राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार और सर्वोत्तम आत्मा जिला पुरस्कार 15 फरवरी को घोषित कर दिए हैं। इसमें खरगोन के संजय शर्मा को भी कृषि के क्षेत्र में चुना गया है। इस पुरस्कार में 50 हजार प्रदाय किए जाते हैं।