मप्र में बनाए जाएंगे 15 गौ-वंश वन्य विहार, निराश्रित गायों को मिलगा सहारा

मप्र में बनाए जाएंगे 15 गौ-वंश वन्य विहार, निराश्रित गायों को मिलगा सहारा

निराश्रित गायों को मिलेगा समुचित संरक्षण

भोपाल। मध्यप्रदेश में निराश्रित गायों को समुचित संरक्षण देने के लिए अब गोवंश वन्य विहार बनाए जाएंगे। प्रदेश का पहला गौ-वंश वन्य विहार विंध्य क्षेत्र के रीवा में बना है। वहीं जबलपुर, भोपाल, राजगढ़ में भी गौवंश विहार के लिए वन क्षेत्र चिन्हित कर लिया गया है। अगले एक वर्ष में महाकोशल, विंध्य, मालवा, मध्य भारत, बुंदेलखंड, बघेलखंड में भी जहां-तहां विचरते गौ-वंश को आश्रय स्थल देने के लिए 15 गौ-वंश वन्य विहार का निर्माण होने जा रहा है।

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आगर जिले में गौ-अभयारण्य 

दरअसल, गौ-अभयारण्य बनाने के लिए बहुत सारी जमीन की जरूरत होती है। गौ- अभयारण्य का संचालन सरकार स्वयं करती है। इसके लिए सरकार को स्टाफ समेत भूसा-चारा और अन्य संसाधनों की व्यवस्था करना पड़ती है, जिस पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। प्रदेश में एकमात्र गौ-अभयारण्य आगर जिले में है करीब 1100 एकड़ से ज्यादा के इस गौ-अभयारण्य में 3500 गायों को रखा गया है।

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अब नहीं भटकेंगी गाय

मप्र गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गो अभयारण्य के स्थान पर गौ-वंश वन्य विहार बनाने की सहमति दे दी है। सीएम की सहमति मिलने के बाद पशुपालन बोर्ड ने प्रदेश में अभी 15 गौ-वंश वन्य विहार बनाया जाना प्रस्तावित किया है। प्रत्येक वन्य विहार में करीब एक हजार निराश्रित गाय रखी जाएंगी। गौ-अभयारण्य ऐसा स्थान संरक्षित क्षेत्र होता है, जहां गाय विचरण करती हैं और वहीं उन्हें बांधकर खिलाया पिलाया जाता है। वे इस संरक्षित क्षेत्र विशेष से बाहर विचरण नहीं करतीं।  

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रीवा में 2500 एकड़ जमीन प्रस्तावित 

मुख्यमंत्री सहित बोर्ड के सभी सदस्य इस बात पर अब एक राय हैं कि गौ-वंश वन्य विहार की परिकल्पना को साकार करने के लिये प्रदेश के जंगलों का उपयोग किया जाए। भोपाल के पास चिकलोद के जंगल में गोवंश वन्य विहार बनाने के लिए 300 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। सीहोर जिले के देलावाड़ी में जमीन प्रस्तावित की गई है। जबलपुर के नजदीक जंगल में 530 एकड़ जमीन पर वन्य विहार बनाया जाएगा। यह जमीन तीन ग्राम पंचायतों में समाहित है। टीकमगढ़ जिले के चरों में 100 एकड़ जमीन का चयन किया गया है। रीवा जिले में कलेक्टर ने 2500 एकड़ जमीन प्रस्तावित की है।

सभी करेंगे सहयोग

गौ-वन्य विहार के निर्माण में वन विभाग, राजस्व विभाग, जिला प्रशासन सहित सभी जरूरी विभागों को सहयोग करने की बात कही गई है। भूमि संबंधी अभिस्वीकृति मिलने, पशुपालन विभाग के प्रस्ताव तथा क्षेत्रीय जनमानस व जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा पर गौ-वंश वन्य विहार की परिकल्पना हर हाल में हो। अब वन्य विहार बनाए जाएंगे। ये वन्य विहार जंगल के नजदीक होंगे। गायों को सुबह से जंगल में छोड़ दिया जाएगा और शाम को जब ये गायें वापस आएंगी तो उन्हें चन्य बिहार में बांधकर मूसा चारा खिलाया जाएगा। एक वन्य विहार में एक हजार निराश्रित गायें रखी जाएंगी। गोवंश वन्य विहार के संचालन का जिम्मा स्वयंसेवी संगठनों को दिया जाएगा। 

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इनका कहना है

निराश्रित गायों को आसरा देने के लिए अब गोवंश वन्य विहार बनाने का निर्णय लिया गया है। गायों का भोजन जंगल में और जंगल का आहार गोवंश के पास इस कॉन्सेप्ट पर गौ-वंश वन्य विहार बनाए जा रहे हैं। फिलहाल प्रदेश में 15 से 17 गौ-वंश बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है। इनके निर्माण का कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। 
स्वामी अखिलेश्वरानंद, अध्यक्ष, मप्र गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड 

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